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...वो लोग कोई सीधे भी नहीं चल रहे थे ..एक साइड ज्यादा झुक कर चल रहे थे.. पहले तो चल ही रहे थे फिर पता नहीं क्यों भागने लगे मेरे पीछे और हसी तो बन्द ही नहीं हो रही थी उनकी... और मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था मेरी तो जे सब देख कर जान जा रही थी...
(रमा एक ही सांस में सब बता देना चाहती थी) और डर कर जब भागने लगी तो मैं गिर गई
और फिर आंखे बंद हो गई थी शायद सो गई थी फिर...
"मतलब बेहोश हो गई थी तुम?"
"हां... शायद..."
"फिर क्या हुआ "?
"फिर क्या! मैं उठी तो फिर घर पर थी और मम्मी को जे सभ बताया तो वो बोलने लगी मुझे...की ऐसे ही कही भी ना जाया करू मैं..."
"आंटी को जे सभ सच्च लगा "?
"सना..कया मतलब की सच्च लगा...सच ही तो है जे सभ! तुमे यकीन है ना की मैं सच बोल रही हूं?"
"बिल्कुल है रमा... बहुत ज्यादा यकीन है मुझे तुम पर.... पर तुम्हारी इन बातों पर नहीं...और आंटी ने कैसे यकीन कर लिया यार और तुम ही बताओ यार तुम्हारी इन बातों पर कोई यकीन कैसे करें? " सना अब frustrate हो रही थी।
"सना मैं क्यों झूठ बोलूगी यार तुमसे!" जो बताया वो सब सच्च था... रमा के कुछ और बोलने से पहले ही सना बोलनें लगती है

"अच्छा ठीक है यार होगा सच पर मुझे अब और नहीं जानना इसके बारे में ! मैं पहले ही बहुत परेशान हूं और वैसे भी मैं तुमसे यहां बात करने आई‌थी लेकिन तुम तो अपनी ही कहानी लेकर बैठ गई ... सना काफी परेशान लग रही थी ।

"सना क्या हुआ? मुझे बताओ ! सॉरी यार ... तुम बताओ क्या बात है क्यों परेशान हो?" रमा ने परेशान होकर सना से पूछा।
"यार क्या हो सकता है और बस उस आदि की वजह से ही परेशान हूं मैं!"
"तुम लोगों में झगड़ा हुआ है क्या"?
"झगड़ा तो नहीं हुआ पर तुम जानती हो ना मुझे पसंद नहीं है कि वह लड़कियों के साथ इतनी ज्यादा बात करें लेकिन वह तो अपनी दोस्तों के साथ ही ज्यादा टाइम स्पेंड करता है और वह भी सिर्फ लड़कियां ! मुझे बुरा लगता है !..उसे ये सब नार्मल लगता है पर मुझे नहीं लगता !
और मेरे बोलने से बोलता है की कि मैं ज्यादा सोचती हूं फिर मुझे डर लगता है कि वह कहीं मुझे छोड़ ना दे!"
सना एक ही सांस में इतना कुछ बोल देती है।

"मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मैं क्या करूं"?
सना रमा से बोलती है।
"तुम एक बार खुल कर बात करो इसके बारे में !"
"नहीं यार मैंने पहले ही कितनी बार बात की है लेकिन वह तो उल्टा मुझे ही बोलने लगता है कि मैं ओल्ड फैशन हूं ! पुराने खाहिलायत की हूं !
ज्यादा सोचती हूं ! और उसे यह सब पसंद नहीं मेरा ऐसे उसे टोकना... तो कोई फायदा नहीं होगा उसे बोलनें का"!
" सना तुम परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा मैं उससे बात करूंगी "!
"नहीं रमा तुम रहने दो मैं खुद ही देखती हूं कि क्या करना है अब"!
सना कुछ देर चुप होती है और फिर से बोलती है
"ठीक है रमा ...मुझे अच्छा नहीं लग रहा मैं घर जा रही...कल मिलते हैं फिर!"
सना इतना बोलकर वहां से चली जाती है।
कुछ देर बाद राम भी अपने घर की और चली जाती है।

सना जब घर पहुंचती है तो काफी परेशान लग रही होती है तो उसकी अम्मी उससे पूछती है उसके उदास होने का कारण..
"सना क्या हुआ बेटा"? अम्मी सना के पास आकर बैठ जाती है और प्यार से उससे पूछता है।
"कुछ नहीं अम्मी वो बस ऐसे ही कुछ अच्छा नहीं लग रहा है।"
"पर हुआ क्या वो तो बताओ?"
सना को पता था कि उसकी अम्मी जब तक वह बता नहीं देती तब तक पूछती ही रहेगी।
"अम्मी वो रमा.... आज फिर से एक नई कहानी सुना रही थी मुझे ..."। पर फिर सना अपनी अम्मी को रमा की बताई सारी बात बताती हैं ‌।

"बेटा मैंने कितनी बार बोला है उससे दूर रहा करो...वो पागल है बेटा...उसकी बातों को नजरंदाज किया करो....
"अम्मी पागल मत बोलो आप उसे!"
सना अपनी अम्मी को टोक कर बोलती है।

© Old_Soul