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...वो लोग कोई सीधे भी नहीं चल रहे थे ..एक साइड ज्यादा झुक कर चल रहे थे.. पहले तो चल ही रहे थे फिर पता नहीं क्यों भागने लगे मेरे पीछे और हसी तो बन्द ही नहीं हो रही थी उनकी... और मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था मेरी तो जे सब देख कर जान जा रही थी...
(रमा एक ही सांस में सब बता देना चाहती थी) और डर कर जब भागने लगी तो मैं गिर गई
और फिर आंखे बंद हो गई थी शायद सो गई थी फिर...
"मतलब बेहोश हो गई थी तुम?"
"हां... शायद..."
"फिर क्या हुआ "?
"फिर क्या! मैं उठी तो फिर घर पर थी और मम्मी को जे सभ बताया तो वो बोलने लगी मुझे...की ऐसे ही कही भी ना जाया करू मैं..."
"आंटी को जे सभ सच्च लगा "?
"सना..कया मतलब की सच्च लगा...सच ही तो है जे सभ! तुमे यकीन है ना की मैं सच बोल रही हूं?"
"बिल्कुल है रमा... बहुत ज्यादा यकीन है मुझे तुम पर.... पर तुम्हारी इन बातों पर नहीं...और आंटी ने कैसे यकीन कर लिया यार और तुम ही...