बाबा की गुड़िया
गुड़िया कहा था प्यार से बाबा ने एक बार
दुनिया ने मुझ को सच मे खिलौना समझ लिया
औरत पर कल भी ज़ुल्म होता था आज भी ज़ुल्म हो रहा है और कल भी होता रहेगा और इस के खिलाफ बहुत कम लोग आवाज़ उठाते हैं ये जो आप तस्वीर देख रहें हैं उस तस्वीर में जो बच्ची दिख रही उसकी शादी उस मर्द के साथ कि जा रही है जो उसके साथ मे बैठा है वो लड़की जहाँ तक मुझे लग रहा है 12 से 13 साल की होगी और वो मर्द उसके बाप की उम्र का है या शायद उससे भी बड़ा है , क्या ये इस बच्ची के साथ ज़ुल्म नही है ? क्या औरत को सिर्फ जिस्म ही समझा जाता है ? क्या औरत की समाज में सिर्फ यही हैसियत है इसके अलावा और कुछ नही? अरब में 1400 साल पहले जब किसी के घर लड़की पैदा होती थी तो वो उसे दफना दिया करते थे क्यों कि उस वक़्त अरब में लड़की का पैदा होना बहुत बुरा समझा जाता था लोग कहते हैं कि अब ऐसा नही होता मगर मेरा ये कहना है कि लड़कियों के साथ अब भी ज़ुल्म हो रहा है और लड़कियां अब भी दफना दी जाती हैं बस तरीका बदल गया है पहले तो सिर्फ उसकी जान ली जाती थी लेकिन आज तो उसकी इज़्ज़त तार तार की जाती है और उसके बाद जान भी ली जाती है और उससे ज़्यादा अफसोस कि बात ये है कि उनके हक में कोई बोलने वाला नहीं है आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा कब हमारी आंख खुलेगी ? शायद उस वक्त जब हमारी बहेन, बेटी, या हमारे घर की किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ होगा तब हमारी आंख खुल जाए मगर तब तक बहुत देर हो जाएगी , अगर आप लड़कियों के हक़ में बोलने की हिम्मत नही रखते तो आप भी उस ज़ुल्म में शामिल हैं जो उनके साथ हो रहा है आप भी एक क़ातिल हैं आप भी एक बलात्कारी हैं 😑😑
मैं ऐसे अल्फ़ाज़ इस्तेमाल नही करता हूं लेकिन मेरी मजबूरी है इसलिए मैंने ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया और मैं इस बात के लिए माफी भी नहीं मांगूंगा क्योंकि जो सच है वो सच है ।
© ✍︎ 𝐀𝐪𝐢𝐛
दुनिया ने मुझ को सच मे खिलौना समझ लिया
औरत पर कल भी ज़ुल्म होता था आज भी ज़ुल्म हो रहा है और कल भी होता रहेगा और इस के खिलाफ बहुत कम लोग आवाज़ उठाते हैं ये जो आप तस्वीर देख रहें हैं उस तस्वीर में जो बच्ची दिख रही उसकी शादी उस मर्द के साथ कि जा रही है जो उसके साथ मे बैठा है वो लड़की जहाँ तक मुझे लग रहा है 12 से 13 साल की होगी और वो मर्द उसके बाप की उम्र का है या शायद उससे भी बड़ा है , क्या ये इस बच्ची के साथ ज़ुल्म नही है ? क्या औरत को सिर्फ जिस्म ही समझा जाता है ? क्या औरत की समाज में सिर्फ यही हैसियत है इसके अलावा और कुछ नही? अरब में 1400 साल पहले जब किसी के घर लड़की पैदा होती थी तो वो उसे दफना दिया करते थे क्यों कि उस वक़्त अरब में लड़की का पैदा होना बहुत बुरा समझा जाता था लोग कहते हैं कि अब ऐसा नही होता मगर मेरा ये कहना है कि लड़कियों के साथ अब भी ज़ुल्म हो रहा है और लड़कियां अब भी दफना दी जाती हैं बस तरीका बदल गया है पहले तो सिर्फ उसकी जान ली जाती थी लेकिन आज तो उसकी इज़्ज़त तार तार की जाती है और उसके बाद जान भी ली जाती है और उससे ज़्यादा अफसोस कि बात ये है कि उनके हक में कोई बोलने वाला नहीं है आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा कब हमारी आंख खुलेगी ? शायद उस वक्त जब हमारी बहेन, बेटी, या हमारे घर की किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ होगा तब हमारी आंख खुल जाए मगर तब तक बहुत देर हो जाएगी , अगर आप लड़कियों के हक़ में बोलने की हिम्मत नही रखते तो आप भी उस ज़ुल्म में शामिल हैं जो उनके साथ हो रहा है आप भी एक क़ातिल हैं आप भी एक बलात्कारी हैं 😑😑
मैं ऐसे अल्फ़ाज़ इस्तेमाल नही करता हूं लेकिन मेरी मजबूरी है इसलिए मैंने ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किया और मैं इस बात के लिए माफी भी नहीं मांगूंगा क्योंकि जो सच है वो सच है ।
© ✍︎ 𝐀𝐪𝐢𝐛