...

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बदलाव

परिस्थितियों के अनुसार बदल जाना और उन परिस्थितियों में ढल जाना ....और फिर उस बदलाव के लिए शिकायत ना करना.... ना खुद से ना खुदाई से ....शायद यही ज़िंदगी है...
बदलाव लाने का फैसला आज तुम्हारा है, इसके बाद के सारे बदलाव तुम्हें स्वीकार होने चाहिए...बिना किसी शर्त के... शायद इसे ही अपने फैसलों के साथ ईमानदार होना कहते हैं....

संशय और मुश्किलों भरी राहें हिस्सा हो सकती हैं ज़िंदगी का ..... लेकिन देखा जाए ये भी तो ज़िंदगी ही है.... लेकिन ...बस ये ही ज़िंदगी है.... ये समझना इंसान की सबसे बड़ी भूल होती है...
बात ये कितनी छोटी सी , शायद बहुतों को पता भी होती है.... जैसे मर्ज़ की दवा जेब में हमारी और हम दवासाज़ दुनिया में ढूँढते फिरते हैं...




take along the
part n parcels,
pains and gains,
all the experiments and experiences ,
nothing can last forever
life should go on
either in you
or alongwith you
else it can move itself
without you



#मौन_संवाद
© संवेदना🌼