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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में है।।
इस गाथा के बाद नायिका इस गाथा को नियंत्रित करने के बाद अनन्त तक मृत्युलोक की माटी का पुतला के मूल्यहीन व समर्पण संग्रह को कालश्रोथ विभकितश्रोत लिगश्रोथ जातिश्रोत सबका परायण करके वह अन्त गाथा का स्त्रीत्व व नारीत्व, अस्तित्व के द्वारा शून्य कर आत्मा बनकर अपने पात्र की वास्तविक आसीमता को प्राप्त होकर वह अन्त आत्मा बनकर परमात्मा में लीन विलीन व विलुप्त होने के बाद वह परमात्मिका कर्मपोशित कर्मपोटली स्वागिंनी नपुंसकीय आहुतिका विध्वंसकीय प्रतिद्वंद्वी होकर भी सर्वश्रेष्ठ सर्वोच्च सर्वप्रथम सर्वोपरि सर्वेसर्वा कहलाती है।।
♥️प्रशनाणावली प्रशनवाचक द्वारा सवाल अंकित किए गए हैं।।
#परमात्मिकाहीआसिमता♥️
🔴 इस गाथा की आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा में अस्तित्व की आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा में नारी कि आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा में स्त्रीत्व की आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा में प्रेम की आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा में शून्य की आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा में आत्मा ही परमात्मा की आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा में स्वांग की आसीमता पर उल्लेख।।
🔴 इस गाथा के स्तंभ की लोक्तियो की आसीमता।।
🔴 इस गाथा में स्वांग की आसीमता।।
🔴 इस गाथा में उम्मीद की आसीमता।।
🔴 इस गाथा में छवि की आसीमता।।
🔴 इस गाथा में गुनम्यादिनी की आसीमता।।
🔴इस गाथा स्वांग नाट्य सैलीश्रोत में नामांकन श्रोत की आसीमता।।
🔴इस गाथा में नाट्य सैलीश्रोत की आसीमता।।
🔴 इस गाथा की सीख की आसीमता।।

#प्रशनणावली♥️🔴🪔🖕☝️💔🐦