...

5 views

BACHPAN KA VADA
CHAPTER 28

मानवी जब शेखर को आराम करने के लिए बोलती हैं तब शेखर मानवी से बोलता है नहीं मैं यहीं पर बैठूंगा रूम में लेटे-लेटे मेरा मन नहीं लग

रहा था और थोड़े देर बाहर बैठूंगा तो थोड़ा अच्छा महसूस होगा। मानवी शेखर की बात सुनकर बोलती है अच्छा ठीक है लेकिन तुम सोफ

पर तो लेट ही सकते हो। तुम्हारा सोफा तो बड़ा ही है इसमें एक आदमी आराम से लेट सकता है। मानवी की बात सुनकर शेखर बोलता है

नहीं मैं बैठे ही ठीक हूं ।तो मानवी शेखर को जबरदस्ती लेटाते हुए बोलती है तुम चुपचाप से लेट जाओ हो। तुम्हें कुछ भी बोलु तुम्हें मना ही

करना रहता है। मानवी को ऐसे करते देखकर शेखर मन में बोलता है मुझे यकीन नहीं हो रहा की मानवी मेरा इतना परवाह करती है ।मुझे

लगता था कि मैं मानवी को इतना खास पसंद नहीं हूं। मानवी शेखर को खोए हुए देखकर बोलती है कहां खो गए ।शेखर ख्यालों से बाहर

आकर बोलता है कहीं नहीं। फिर मानवी से बोलता है तूम मेरी इतना परवाह क्यों कर रही हो। मानवी शेखर की बात सुनकर बोलती है

क्योंकि तुम मेरे दोस्त हो और मैं अपने दोस्त को ऐसी हालात में अकेले छोड़ नहीं सकती हूं। इतना बोलते ही वह किचन में जाते हुए बोलती

है मैं अब तुम्हारे लिए पॉरिज बनाने जा रही हूं और तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे बताना ।इतना बोलते ही वह पॉरिज बनाने लगती है ।शेखर

जो सोफे पर लेटा हुआ था और मानवी को किचन में उसके लिए खाना बनाते देखकर खुद से बोलता है मुझे नहीं पता था कि दोस्ती इतना

प्यार होता है। लेकिन जब उसने दोस्त कहा तो मैं इतना उदास क्यों महसूस कर रहा था जैसे मेरा दिल कुछ और सुनना चाहता हो। उसने

सच ही तो कहां हम दोस्त है मुझे तो खुश होना चाहिए कि मेरा कोई दोस्त है जो मेरा इतना परवाह करता है। मैं कुछ ज्यादा ही सोच रहा हूं

इतना बोलते हुए वह मानवी को प्यार से देखने लगता है। उधर आरव की मां आरव से बोलती है मैं क्यों नहीं टेंशन लूंगी जब मेरा बेटा मुझसे

इतना दूर रह रहा है और मुझे सोच कर मेरा मन घबराता है की तुम वहां कैसे रहते होंगे ,क्या खाते होगे तुम खूश तो रहते होंगे । यही सब

सोच -सोचकर मेरा मन घबराता रहता है। तो आरव अपनी मां का हाथ पकड़ते हुए बोलता है आप मेरा इतना चिंता मत कीजिए ।मैं वहां

ठीक हूं- और मैं वहां हमेशा के लिए तो नहीं ना हूं। मैं अपना पढ़ाई खत्म करके सीधे आपके पास ही आऊंगा ।अगर ऐसे ही आप स्ट्रेस लेते

रहिएगा और अपना ध्यान नहीं रखिगा तो मैं कैसे जल्दी से पढ़ कर आपके पास आ पाऊंगा ।तो आरव की मां अपना आंसू पोछते हुए बोलती

है ठीक है मैं अपना ख्याल रखुगी । आरव अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए बोलता है वादा किजिए ।तो आरव की मां आरव के हाथ में हाथ रख

कर बोलती है मैं वादा करती हूं मैं अपना ख्याल रखूंगी। फिर आरव से बोलती है अब तुम अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ ।आरव

अपनी मां को लेटा कर अपने कमरे की तरफ जाने लगता है ।आरव की मां बोलती है आई होप निशा सब संभाल लेगी ।आरव जब अपने

कमरे का दरवाजा खोलता है तो निशा को देखकर वह सॉक्ट हो जाता है और जैसे ही कुछ बोलने जाता ही है। तभी निशा आरव को रूम के

अंदर खींचते हुए दरवाजा बंद कर लेती है। आरव जब निशा को दरवाजा बंद करते देखकर बोलता है यह तुम क्या कर रही हो ।तो निशा

बोलती है तुम देख नहीं रहे हो में दरवाजा बंद कर रही हूं। तो आरव घबराते हुए बोलता है मुझे पता है लेकिन क्यों बंद कर रही हो। निशा

आरव के पास आते हुए बोलती है तुम्हें क्या लगता है मैं क्यों दरवाजा क्यों बंद किया है। तो आरव निशा को बोलता है तुम दूर होकर बात

करो। फिर मन में बोलता है निशा तो पहले ऐसे नहीं थी इसको क्या हो गया है। फिर निशा बोलती है तुमने ही कहा था तुम मेरे साथ खेल रहे

थे ।तो आज मैं खुद तुम्हारे पास खेलने आ गई। वैसे भी तुमने तो मुझसे कभी प्यार किये ही नही थे ।इसलिए मैंने सोचा है कि तुम मुझे प्यार

करो या ना करो मैं तो तुम्हारे साथ ही रहूंगी। तुम जैसे बोलोगे मैं वैसे ही करूंगी ।मैं तो तुमसे बहुत प्यार करती हूं अगर तुम मेरा साथ सोना

भी चाहोगे तो मैं वह भी तुम्हारे साथ कर लूंगी। निशा की बात सुनकर आरव गुस्से में निशा को थप्पड़ मारता है और बोलता है तुम मेरी निशा

नहीं हो सकती। मेरी निशा कभी भी अपनी आत्मसमान और अपनी इज्जत के साथ किसी को ऐसे खिलवाड़ नहीं करने दे सकती है।फिर

निशा की कंधों को जोर से पकड़ते हुए बोलता है तुम यह बात बोल भी कैसे सकती हो ।मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम यह सब करोगी

।तो निशा आरव का हाथ हटाते हुए बोलती है तुम मुझे मुझसे ज्यादा जानते हो क्या। तो आरव गुस्से में बोलता है मैं अपनी निशा किहर एक

चीज हर एक छोटी सी बात जाता हूं। तो निशा बोलती है तुम मुझसे कैसे समझ सकते जब कि तुम मुझे कभी प्यार किये ही नहीं थे तो।

आरव निशा कि कंधों को पकड़ते हुए बोलता है मैं तुमसे से बहुत प्यार करता हूं इतना कि तुम कभी समझ नहीं सकती इतना बोलते ही

आरव चुप हो जाता है और मन में बोलता है यह मैं क्या बोल दिया ।मैं यह कैसे कर सकता हूं। निशा आरव को चुप देखकर बोलती है अगर

तुम मुझसे प्यार करते हो और मुझे समझते तो तुम मुझे सारी बातें बताते ।यूं ही अकेले सब डिसीजन लेकर चले नहीं जाते ।निशा की बात

सुनकर आरव एकदम सॉक्ट हो जाता है। उधर मानवी पॉरिज बनाकर टेबल पर रखते हुए शेखर को जैसे ही वो शेखर को बुलाने लगती है

तभी वह देखती है कि शेखर सोया हुआ है। मानव शेखर के पास जाकर मन में बोलती है अब मैं इसे कैसे उठाऊं। इसे देखकर लग रहा है

कि यह गहरी नींद में है लेकिन मुझे उठाना ही होगा वरना यह बिना दवाई खाएं ही रहजाएगा ।फिर वह शेखर को धीरे से हाथ लगाकर

उठाने लगती है ।शेखर नींद में ही मानवी का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचता है जिससे मानवी शेखर के ऊपर गिर जाती है ।जब मानवी

शेखर के ऊपर गिर जाती है जिससे शेखर का निद टूट जाता है । निशा और शेखर एक दूसरे के आंखों में देखने लगते हैं ।फिर मानवी

बोलती है वह मैं तुम्हें खाने के लिए उठाने आई थी ।इतना बोलते ही वह उठने लगती है लेकिन बैलेंस बिगड़ने की वजह से फिर शेखर के

ऊपर गिर जाती है ।जिससे दोनों का सर एक दूसरे से टकरा जाता है। मानवी घबराते हुए बोलती है सॉरी सॉरी तुम्हें चोट तो नहीं लगा ।फिर

वह शेखर को पकड़ कर बैठाती है और उसका उसका चेहरे को पकड़ कर उसका सर देखने लगती है ।फिर वह अपना सर शेखर के सर से

दोबारा टकरा कर बोलती है अब हमारे सर पर सिंग नहीं निकलेगा ।शेखर मानवी की मासुमियत देखकर मुस्कराने लगता है फिर वह

मानवी से बोलता है मैं ठीक हूं तुम चिंता मत करो। फिर मानवी को पोरेज के बारे में याद आते हुए बोलती है मैं अभी पॉरिज लेकर आती हूं।

मानवी पोरेज लाते हुए बोलती है तुम जल्दी से खा लो और दवाई लेकर सो जाना। शेखर खाते हुए बोलता है अच्छा बना है फिर मानवी

बैठते हुए बोलती है अच्छा लगा जानकर तुम्हें पॉरिज पसंद आया.....................

LIKE COMMENT SHARE AND FOLLOW ME GUYS 🥺♥️🥰🥰🥺♥️
© Mahiwriter