नामर्द
" ये खूबसूरती
निचोड़ लो!
इस गुलबदन को
लूट लो!
की पूरी मद हूँ मैं
थोड़ा मर्द बनो,
दो चार घुट लो!"
तेरा आकर पास
आँखो में आखें डाल
यूं उकसाना
मुझे पागल कर रहा है
पर मुझे माफ कर दो
तुम मेरे लिए...
निचोड़ लो!
इस गुलबदन को
लूट लो!
की पूरी मद हूँ मैं
थोड़ा मर्द बनो,
दो चार घुट लो!"
तेरा आकर पास
आँखो में आखें डाल
यूं उकसाना
मुझे पागल कर रहा है
पर मुझे माफ कर दो
तुम मेरे लिए...