...

18 views

नामर्द
" ये खूबसूरती
निचोड़ लो!
इस गुलबदन को
लूट लो!
की पूरी मद हूँ मैं
थोड़ा मर्द बनो,
दो चार घुट लो!"

तेरा आकर पास
आँखो में आखें डाल
यूं उकसाना
मुझे पागल कर रहा है

पर मुझे माफ कर दो
तुम मेरे लिए
एक शरीर से कहीं ज्यादा हो।
...सिर्फ नोंचने के लिए
मैंने तुम्हें नहीं चाहा।


ये मेरी नपुंसकता नहीं है,

मैं एक बेरोजगार हूं,
और तुम एक अमीरजादी।

तो मेरा प्रेम,
मेरी वफादारी का
मतलब रह नहीं जाता है।

तुम्हारे साथ के जो लोग हैं,
वो सांप हैं।
वे कभी भी,
तुम्हे मेरा होने नहीं देंगे।
आज या कल,
तुम मुझसे नफ़रत करोगी।

खैर! भले ही मैं तुम्हें पा न सकूं,
ये तसल्ली तो है ही मुझे
कि आखिरकार
तुम्हें भी
वो एहसास हुआ
जो मुझे हुआ।

चूकि इस रिश्ते का
कोई भविष्य नहीं है,
मैं हम दोनों के खातिर,
इस तबाही को रोकता हूँ।
मैं तुमसे प्रेम में,
तुम्हीं से दुरी चुनता हूँ।
© prabhat