...

40 views

सूखा पेड़ और तितली
रेगिस्तान का एक सूखा पेड़
था इंतज़ार उसे भी किसी का
एक उड़ती इठलाती तितली
थी किसी के इंतज़ार मैं किसी के सहारे को
पर कोई नहीं था उस रेगिस्तान मैं
क्या थी मजबूरी या याराना
उस सूखे पेड़ पर इतराना
पेड़ को भी नाज था
क्योंकि वो ही उसका बाज था
रंग बिरंगी वो तितली से
सूखा पेड़ भी बिरंगा होने लगा
तितली ना होती थी तो पेड़ भी
निठल्ला होने लगा
उस रेगिस्तान मैं
वो आपस मैं ही जान थे
ये नहीं तो वो नहीं वो नहीं तो ये नहीं
पर क्या थी ये मजबूरी या था याराना
धीरे धीरे तितली का आना हो गया कम
सूखा पेड़ भी जान गया ग़म
उस रेगिस्तान मैं आ गयी कुछ हरियाली
तितली तो सब भूल के हो गई निराली
क्या सच मैं वो पेड़ का साथ एक थी मजबूरी
क्यों बना ली तितली ने इतनी दूरी
उस बिरंगे पेड़ को फिर भी थी उम्मीद
की तितली वापस आयेगी
यही थी उसकी मुराद







© Abhishek mishra