वो चला गया ....
यह कहानी है पाँच साल पुरानी। स्कूल में मेरा पहला दिन और 10 वी के छात्रों से सताये जाने का डर था। स्कूल के गेट पर ही मेरा नाम जानकर कुछ बच्चे मुझे चिढ़ाने लगे “जब तक रहेगा समोसे में आलू तु हमारी रहेगी शालू। अरे! मैं अपना नाम बताना तो भुल ही गई, मैं हूँ शालू । थोड़ी सी चंचल और भावुक। स्कूल का पहला दिन तो इतना खास तो नही था पर पहले ही दिन कुछ अच्छे लोग मिल गए थे और डर भी खत्म हो गया था मेरा। अगले दिन स्कूल में जिन्होंने मुझे चिढ़ाया था वह मेरे दोस्त बन गए और मुझे दिखा एक नया चेहरा जो शांत चुप हो कर क्लास के एक कोने में बैठा था। न जाने क्यों उसका चेहरा मेरी आँखों में बस गया। पूरी रात निकल गई जागते-जागते उसे फिर से देखने के इंतजार में, पर वो आया ही नहीं अगले दिन और न जाने क्यों उसे जानने के लिए मैं इतनी बेताब थी। कुछ दिन बाद फिर दिखा वह मुझे ,बहुत बेताब थी मैं उससे बात करने को और यह जानने के लिए कि यह क्यो देखता रहता उस तरफ जहाँ मैं बैठी होती हूँ पर क्या बोलती उसे पहली बार झिझक हो रही थी किसी से बात करने में। फिर मैंने सोचा क्यों न किसी और से इसका नाम पूछा जाए तब मैंने अपने एक दोस्त से उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि इसका नाम अमन है और यह ऐसे ही शांत रहता है बहुत कम बोलता है। नाम जानकर तो मैं सच पागल हो गई, पागलो की तरह कभी खुद से तो कभी दिवारों से बातें करती थी उसकी और एक ही क्लास मे होने की वजह से किसी न किसी बहाने उससे बातें हो ही जाती थी इसी तरह वक्त बित्तता गया। हम दोस्त बन गए। और कहते हैं न प्यार कहाँ छुपता है मेरे दोस्तों को पता चल ही गया एक दिन की मैं अमन को पसंद करती हुँ। मेरी दोस्त पूजा ने मेरी डायरी जो पढ़ ली थी।अब दोस्त चल पड़े कहानी को पूरा करने और अमन को भी बता दिया कि मैं उसे पसंद करतीं हुँ। यहाँ मेरी दिल की धड़कन इतनी तेज़ थी कि क्या कहूँ। डर लग रहा था कि पता नहीं क्या सोचेगा मेरे बारे में कहीं गुस्सा न करें पर उसने कुछ नहीं कहा और शायद कहा भी पर उस वक़्त मेरे दोस्तों ने मुझे कुछ नहीं बताया। मैं उसे पसंद करती हूँ यह बात धीरे -धीरे सब को पता चल गई और जिन्हें नहीं पता था उन्हें उस दिन सब पता चल गया जिस दिन अमन ने मुझे सबके सामने बुलाकर पूछा था कि मैं उसे पसंद करती हूँ यह बात सच है या नहीं,उस वक़्त मेरे हाथ पैर काँप रहे थे,मैं डरी हुई थी क्योंकि हूँ तो अकेले लड़की अब सब क्या सोचेंगे मेरे बारे में क्या सोचेंगे यह डर था मुझे । जो अमन को नहीं दिखा।और मेरे सारे दोस्त उस दिन के बाद से मुझे चिढ़ाने लगे कि कितना डरती है यह अमन से। अब क्या बोलती और किससे बोलती जिससे उम्मीद थी मज़ाक उसी ने बनाया था मेरा।बिना सोचे समझे उसने बोला और चला गया।
कुछ दिन बाद पता चला कि वो एक लड़की को पसंद करता है मेरी दोस्त पूजा कह रही थी कि वह लड़की मैं ही हूँ और यह सुनकर मैं तो खुशी से फुले नहीं समा रही थी। फिर तो नज़रों ने उसके सिवा कुछ देखा ही नहीं और उसकी नज़र भी मेरी तरफ ही रहती थी । कभी-कभी रास्ते में मिल भी जाता था वह मुझे।मेरे घर के पास में ही रहता था न।और उसकी एक झलक के लिए मेैं किसी न किसी बहाने से उसकी गली के पास से निकल कर जाती थी कि शायद गली के बाहर खड़ा हो मुझे दिख जाए।यह दिन तो बस एक दूसरे को इसी तरह देख कर कट रहे थे और रात काटना तो बहुत मुश्किल होता था मेरे लिए बस सुबह का इतंजार रहता था और यह उम्मीद कि शायद आज वह मुझसे अपने दिल की बात बोल देगा । दोस्त भी पूरा दिन उसी का नाम लेकर मुझे चिढ़ाते रहते थे।उसका नाम सुनकर एक अजीब सी हलचल होती थी मेरे मन में।पर यह प्यार इतनी आसानी से बीना रूलाए कहाँ मानेगा और असली कहानी अब शुरू हुई। मुझे पता चला कि वह जिस लड़की को पसंद करता है वह कोई और नहीं मेरी सबसे अच्छी दोस्त काजल है। तब समझ आया मुझे कि वह मुझे नहीं काजल को देखा करता था।हर समय काजल और मैं साथ में जो रहते थे । और मैं इस गलतफहमी में उससे प्यार कर बैठी थी।मेरे तो जैसे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई थी। क्या बोलू किससे बोलू कुछ समझ नहीं आ रहा था,पहला प्यार था वह मेरा पर अधूरा था ऐसा लग रहा था जैसे उसे चाहने का हक भी खो दिया मैंने।सपनो...