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अच्छे दिन आ गये
आज का दिन कुछ अजीब था।

सुबह लगभग 10बजे का समय था।मैं सड़क किनारे खड़ा था। बहुत लोग बाजार की तरफ भागते दिखाई पड़े।ऐसा रोज नहीं दिखता था।मुझे थोड़ी जिज्ञासा हुई।मैं कुछ देर असमंजस में रहा किंतु स्वभाववश मैं खा़मोश नहीं रह सका। मैंने एक आदमी को रोककर पूछा भाई,आज क्या बात है?इतने सारे लोग आपाधापी में क्यों लग रहे हैं?उस व्यक्ति ने निर्लिप्त भाव से कहा,सोना खरीदने।मैं आश्चर्य में पड़ गया।भला ऐसा भी कहीं होता है कि कोई सोना खरीदने की बात सबसे सहजता से कहे।मैंने फिर उससे यही प्रश्न किया।मुझे फिर वही उत्तर मिला।मैंने पूछा सभी लोग?उसने कहा, हाँ।मेरी जिज्ञासा बढ़ती गई।मैनें पूछा सब लोग सोना हीं खरीदने जा रहे हैं,ऐसा क्यों?उसने कहा, भाई खाने- पीने की चीजें मँहगी हो रही है।तेल महँगा हो गया।सब चीजों के भाव बढ़ गये।लोगों पर टैक्स बहुत बढ़ गया,तो हम लोग क्या करे?मैने फिर कहा कि सब महँगा हो गया,तो फिर सोना खरीदना क्यों?उसने बड़ी हीं सहजता से कहा।सब महँगा हो गया तो क्या,हम जिऐं नहीं?सोना बहुत सस्ता जो हो गया है।हम भी अपने जीने के लिए सोना खरीद रहें हैं।कम से कम खुशहाल तो रहेंगे।हमारी सरकार ने सबको संपन्न बनाने की कोशिश की है।हम सभी इस अवसर का लाभ उठाकर अपने और अपनी अगली पीढ़ी की खुशहाली खरीद रहें हैं।आप हमसे पूछ रहे हैं जबकि सभी बाजार जा रहें हैं।आप भी अवसर को भुना लिजिए।कुछ सोना अपने लिए खरीद लिजिए।क्या पता कल यह भी मँहगा हो जाए?हमारे अच्छे दिन आखिर आ हीं गये।वह जल्दी से आगे बढ़ गया।

मैं अभी सड़क किनारे उसकी बातों को सोच रहा हूँ।निःशब्द ।उसकी आवाज कि "अच्छे दिन आ गये" कानों में गूँज रही है।
© Guddu Srivastava
#satire