ना कहना सीखे
ना कहना सीखे
कई दफा ऐसा होता है कि हमारे आसपास के लोगों को या किसी अन्य को हम ना चाहते हुए भी ना नहीं कर पाते, ऐसा क्यों? इसे हम आत्मीयता या मानवीय व्यवहार कह सकते हैं।
यह अच्छी आदत है कि आप लोगों की सहायता करते हो, लेकिन आपका मन नहीं है फिर भी बेमन से आप न चाहते हुए भी उनके लिए काम करना या उस काम को करना पड़ रहा हों तो ये अपनी खुशियों तिलांजलि देने जैसा ही है।
मानों आप ऑफिस के लिए निकल रहे हों, तभी आपका अजीज दोस्त आकर बोलता है कि यार आपकी बाइक देना मुझे अपनी...
कई दफा ऐसा होता है कि हमारे आसपास के लोगों को या किसी अन्य को हम ना चाहते हुए भी ना नहीं कर पाते, ऐसा क्यों? इसे हम आत्मीयता या मानवीय व्यवहार कह सकते हैं।
यह अच्छी आदत है कि आप लोगों की सहायता करते हो, लेकिन आपका मन नहीं है फिर भी बेमन से आप न चाहते हुए भी उनके लिए काम करना या उस काम को करना पड़ रहा हों तो ये अपनी खुशियों तिलांजलि देने जैसा ही है।
मानों आप ऑफिस के लिए निकल रहे हों, तभी आपका अजीज दोस्त आकर बोलता है कि यार आपकी बाइक देना मुझे अपनी...