कागभुशुण्डि और गरुड़ जी की वार्तालाप
कागभुषुण्डी जी गरुड़ जी से अपने पूर्व जन्म की कथा सुनाते हुए कहते हैं कि हे गरुड़ जी शिव जी ने मुझे अजगर होने का शाप दिया था जिससे कभी निवृत्ति नहीं होने वाली थी पर गुरु जी की विनती सुन कर शिव जी ने इसे एक हजार जन्म तक सीमित कर दिया। मैं अनेक योनियों में भटकते हुए अन्तिम और हजारवाँ जन्म ब्राह्मण का पाया पर शिव जी की कृपा से मेरा ज्ञान कभी मिटा नहीं। मेरे माता पिता जब कालकलवित हो गए तो राम दर्शन की लालसा में मैं मुनियों के आश्रम में जा जा कर प्रभु के सगुण रूप का निरूपण करने का अनुरोध...