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मेरा अपना मेरा पराया ✍🏻✍🏻✍🏻
मेरा अपना हो या पराया, बोल अच्छे हो या बुरे शब्दों और इंसान का मान रखना जनता हूँ !

किसी ने कम तो किसी ने ज्यादा, जिसने भी जैसा साथ दिया उनका सम्मान रखना जानता हूँ !

मै दुःख में मुस्कुराऊंगा और सुख में उदास भी हो जाऊंगा दर्द होगा तो खुद में औषधि बन जाऊंगा !

सनातनी हूँ इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगा, श्रीमद्भागवत गीता को मानता हूँ, हर स्थिति में स्थिर और समान रहना जानता हूँ !

मेरा अपना हो या पराया, बोल अच्छे हो या बुरे शब्दों और इंसान का मान रखना जनता हूँ !

मैं न बीता हुआ कल हूँ न गुजरा हुआ आज हूँ, बस इस क्षण की तरह विद्यमान रहना जानता हूँ !

मेरी शान्ति को मेरी विवशता समझने की मूर्खता मत करना , तुम्हारी असभ्य मुस्कान के पीछे छुपे कुटिल व्यवहार का भान रखना जानता हूँ !

कर्म के फल को निष्फल करने की चेष्टा तुमसे हो न पाएगी, कर्मयोगी का अनुयायी हूँ उनके चरणों में बस ध्यान रखना जानता हूँ !

सफलता के स्वागत के लिए प्रपंच की थाली सजाना तुमको ही शोभा देता होगा, स्वयं को रज में रंजित करके प्रभु के चरणों की धुल का स्थान अपना मानता हूँ !

मै विवेक से काम लेता हूँ अतिरेक को रत्ती भर सम्मान नहीं देता, मुरलीवाले का भक्त हूँ इसलिए कुटिल व्यक्ति की कुटिलता पर ध्यान नहीं देता !

किसी का सोचा समझा व्यंग्य बनाकर अपना मतलब निकलने वाला शकुनि नहीं हूँ इंसान हूँ, स्वाभिमानी हूँ तो किसी को गिराकर नहीं साथ लेकर चलते हुए नाविक के समान हूँ.

मुरलीधर की कृपा है जो बिना कलम के बिना स्याही के कुछ न कुछ लिख लेता हूँ !

मेरी दया के पात्र दोमुहे सर्पो मै सत्य हूँ , तुम्हारे झूठ छल प्रपंच के सम्मुख बहुत स्वाभिमान और अभिमान से टिक लेता हूँ
© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻