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"क्या आपको मुझसे कोई काम था?"
एक समय ऐसा आता है जब आप अपनों से ये उम्मीद करते हैं कि आपकी मुश्किल में वे आपकी मदद करेंगे.
लेकिन आपको आपकी परेशानियों के साथ अकेला छोड़ दिया जाता है.परेशानियों से लड़ते हुए एक और गहरा आघात आपको लगता है कि एक ही पल में आप पराये कर दिये गये.
फिर खेल शुरु होता है डूबने और उभरने का.. दुनिया में अपने आप को बनाये रखने का.कभी आप एक कुशल योद्धा की भाँति जीत जाते हैं और कभी एक नौसिखिए सैनिक की भाँति चारों खाने चित्त गिर पड़ते हैं
धीरे-धीरे आप लड़ना सीख जाते है..मुश्किलों की आहटों से उसे भाँप लेते हैं. फिर एक दिन जब आप मुश्किलों के साथ हँसी खुशी रहना सीख लेते हैं तो आपका अपना अचानक आकर आपकी खैरियत पूछता है.
उस समय दिल यही पूछता है "क्या आपको मुझसे कोई काम था?"
और हक़ीक़त भी यही होती है. आप एक अच्छे इंसान की तरह अपने की मदद कर देते हैं लेकिन इस बार आपको उस अपने से कोई उम्मीद नहीं है. आपने अपनी परेशानी में रब के सिवा किसी से उम्मीद रखना छोड़ दिया है. आप मजबूती से ख़ुद के लिये खड़े हैं.
और बस यही से आपकी कामयाबी की शुरुआत होती है. दूसरों से उम्मीदें इंसान को कमज़ोर करती है. मेहनत इंसान को मज़बूत बनाती है.
आज के समय में सब कुछ बनना मुमकिन है लेकिन एक अच्छा इंसान बनना बहुत मुश्किल है और मुश्किलें ये काम बख़ूबी कर जाती हैं. आपको एक अच्छा ,सच्चा इंसान बना जाती हैं. जाते जाते आपके हाथों में बहुत से तजुर्बे दे जातीं हैं जो आगे की ज़िंदगी में आपके काम आते हैं और आपके अंदर छुपे हुए गुणों को बाहर कर जाती हैं. अब आईना आपको देखकर हैरान हो जाता है और पूछ बैठता है, "क्या ये तुम हो."
एक अच्छा इंसान बनना काफी मुश्किल होता है. इसके साथ ही अच्छा इंसान बने रहना भी कठिन होता है.
इस दुनिया में जो चीजें कठिन होती है लोग उसे पसंद करते है.
आज तक दुनिया अच्छे इंसान को ही पसंद करती है. अच्छे इंसान के मर भी जाने के बाद भी उसका अस्तिव इस दुनिया में मौजूद रहता है. वही बुरे इंसान को दुनिया कभी पसंद नहीं करती है. बुरे इंसान का अस्तित्व उसक मर जाने पर ही ख़त्म हो जाता है. और अगर उसका अस्तिव दुनिया में रहता भी है तो लोग उसे पसंद नहीं करते है.

हर एक इंसान के अंदर कुछ न कुछ बुरी आदत तो होती है.अगर आप बस बुरी आदत को छोड़ने के बारे में सोचेंगे तो आप अपनी बुरी आदत को नहीं छोड़ पाएगे.
वही अगर आप बुरी आदत के स्थान पर अच्छी आदत को सीखेंगे तो आप आसानी के साथ अपनी बुरी आदत को छोड़ सकते है.

एक इंसान को बुरा बनाती है उसकी सोच.जिस इंसान की सोच बुरी हो जाती है.वह इंसान कभी भी अच्छा इंसान नहीं बन सकता है. बुरी सोच होने के कारण इंसान बुरा करता रहता है. अपनी बुरी सोच को छोड़ने के लिए आप अच्छी सोच को शामिल कर ले.
आप अच्छे काम करे. अच्छा काम एक अच्छे इंसान की पहचान होती है.इसके साथ ही आप अपने अच्छे काम की तारीफ सुनने के लिए बेताब न रहे. आपके अच्छे काम की तारीफ दूसरे खुद ही करेंगे.

आप अपने अच्छे किये हुए काम को किसी दूसरे के साथ साझा भी न करें. बस अच्छा काम करे और उसे तुरंत भूल जाए. आपके अच्छे काम का फल आपको जरूर मिलेगा.

हमारा व्यवहार हमारी पहचान होती है. हमारे बारे में दूसरे हमारे व्यवहार से ही समझ लेते है.दूसरों के साथ प्रेम और इज्जत से बात करना अच्छे इंसान की पहचान है.
दूसरों की भलाई करें.एक अच्छा इंसान बस खुद के बारे नहीं सोचता है। वह दूसरों की भलाई भी करता है।

हम सब जानते है कि हम जैसे लोगों के साथ रहते हैं हम वैसे ही बन जाते है. एक भला आदमी भले आदमी के साथ रहना पसंद करता है और एक बुरा इंसान बुरे इंसान के साथ रहना पसंद करता है.
अच्छा इंसान बनने के लिए आप भले और अच्छे लोगो के साथ रहना शुरू करे. अच्छे लोगो को अपना दोस्त बनाये.

दूसरों से कुछ भी गलती होती है तो उसे माफ़ कर दें.
भले ही उसकी गलती का अहसास कराये, ताकि वह फिर से ऐसी गलती न करे. लेकिन साथ ही क्षमा भी करे.

एक अच्छे इंसान की पहचान हमेशा ईमानदारी से होती है. अच्छा इंसान हमेशा ईमानदार बना रहता है.चाहे कुछ भी हो जाए, अच्छा आदमी हमेशा ईमानदार ही होता है.

आप अपनी सारी पुरानी कड़वी बातों को भूल जायें.
बस अच्छी बातो को ही याद करें. और अच्छी सोच बनायें.
सभी को पसंद करें. आप जितना ज्यादा दूसरों को पसंद करेंगे दूसरे उतना ही आपको पसंद करेंगे. एक अच्छे इंसान को सभी पसंद करते है.दूसरों की बात को बुरा न मानें.
जो चीज अपने लिये आप पसंद नहीं करते वो दूसरों के साथ भी ना किया करें.

लेकिन इस सबसे बड़ी बात जो यकीनन सबसे बड़ा एक रहस्य है कि किसी को अच्छाई की नसीहत करने के साथ उसके लिये रब से दुआ ज़रूर किया करें.ये रब की मर्ज़ी ही होती कि कब कहाँ कैसे किसी भटके हुए को सही राह दिखा दे.
जब हम कोई दुआ करते हैं तो उसके पूरे होने का यकीन रखा करें क्यूँकी इंसान दुआ करने भी तभी उठता है जब रब की मर्जी होती है.
इस आर्टिकल में इतना ही...
फिर मिलेंगे.
NOOR E ISHAL
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