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"वो हाथ" (Horror story)
ये कहानी १९ वी सदी के शुरुआत के दिनों की है तब विद्दुत का आगमन हमारे देश के केवल विकसित शहरों में ही हुआ था और काफी रईसों की बपौती ही इसे माना जाता था।
सारंग का तबादला उन दिनों उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में हुआ था।
यहाँ बिजली की आपूर्ति नहीं थी,शाम होतें ही पूरा शहर अंधकार में तब्दील हो जाता था,सारंग दफ्तर से सीधे घर की ओर चल पड़ता,हाँ रास्ते से वो कुछ न कुछ नीरू के लिए लेना नहीं भूलता था।
सारंग की अभी नई नई ही शादी हुई थी इसी वजह से वो और भी शीघ्र घर पहुँचना चाहता था।
एक रोज की बात है,रोज की भांति आज भी वो घर जल्दी जाने के लिए तांगे या किसी रिक्शे की राह देख रहा था,तभी सामने से उसे एक तांगा आता दिखा उसनें आवाज दी तो तांगे वाला उसकी ओर तांगा ले आया,उसनें तांगे वाले से पूछा मिरसा चलोगे उसनें हांमी भर दी,उसनें देखा तांगे वाले ने अपना चेहरा कपड़े से पूरा ढाप रखा है,उसनें सोचा शायद ठंड की वजह से उसनें ऐसा किया है सोचते हुए वो तांगे में बैठ गया तांगा सरपट सड़क पर दौड़ने लगा,तभी तांगे वाले ने पूछा "लगता है इस शहर में नये आए हो आप बाबुजी"
सारंग हंस दिया और बोला हां एक महीना हुआ है यहाँ आए हुए,विवाह उपरांत यही तबादला हो गया तो बीवी को लेकर यही चला आया।
तभी उसे रास्ते में एक व्यक्ति मूंगफली बेचते दिखा उसे पता था उसनें तांगे वाले से तांगा रोकने को कहाँ और तांगे से उतर कर मूंगफली लेने लगा जब उसनें पैसे उस आदमी की ओर बढ़ाएं और उसनें लिपटे शाल में से अपना हाथ पैसे लेने के लिए बढ़ाया तो सारंग के पसीने छूट गए,क्योंकि वो हाथ नहीं एक कंकाल का हाथ था,सारंग डर के मारे दौड़ कर सीधे तांगे पर आकर बैठ गया।
उसकी ऐसी हालत देख कर तांगे वाले ने सारंग से पूछा क्या हुआ बाबुजी आप इतना हाफ क्यों रहे हो सब कुशल तो है ना?
तब सारंग ने सिलसिले वार जैसा हुआ था सब कुछ उस तांगे वाले को सुना दिया,सुनकर तांगे वाला अजीब सी हंसी हंसा जो सारंग को बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा,तब सारंग गुस्से से बोला तुमको हंसी आ रही है मत पूछो कितना खौफनाक दृश्य देखा था मैनें,आज तक मैनें ऐसा हाथ किसी का नहीं देखा,तभी तांगे वाले ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर सारंग से पूछा कहीं वो हाथ ऐसा तो नहीं था?
जब सारंग की दृष्टि उस हाथ पर गई तो वो लगभग चिल्लाने को था,ये तो बिलकुल वैसा ही हाथ था जो उसनें उस मूंगफली वाले का देखा था।
सारंग तांगे से कूद गया और तब तक दौड़ता रहा जब तक वो अपने घर नहीं पहुंच गया।
घर आतें ही उसनें नीरू को बाहों में भर लिया और उसक कानों में फुसफुसाते हुए बोला शुक्र है मै अपनी नीरू के पास पहुंच गया हूँ।
नीरू हंसते हुए बोलीं क्यों क्या हो गया सब कुशल तो है न!
सारंग बोला अरे मत पूछो आज क्या क्या हुआ मेरे साथ,नीरू बोली आप मुंह हाथ धो लीजिए खाना लगा देतीं हूँ फिर इतमिनान से बातें करेंगे,सारंग नटखट अंदाज में बोला इत्मिनान से तो कुछ और ही करेंगे बातें नहीं,नीरू शरमा गई,तब सारंग नीरू को कंधे से खीचकर बोला "अरे सुनो तो क्या हुआ आज", सुनकर डर जाओगी और सारंग ने सारा कुछ जो उसके साथ हुआ था नीरू को कह सुनाया नीरू मंद मंद मुस्कुराने लगीं उसकी ये मुस्कुराहट बेहद अजीब सी थीं,इससे पहले की सारंग कुछ बोलता नीरू ने अपने हाथ सारंग के आगे कर दिए और पूछा कही वो हाथ ऐसे तो नहीं थे,हाथ देखते ही सारंग डर गया क्योंकि ये हाथ भी वैसा ही कंकाली हाथ था, हाथ देखते ही सारंग मूर्च्छित हो गया।
होश आने पर उसनें खुद को अस्पताल में पाया बाद में उसे पता चला सुबह किसी ने उसे बाहर मूर्छित अवस्था में देखा तो अस्पताल ले आया।
जब डॉक्टरों ने सारंग से पूछताछ की तो उन्होने बताया मिरसा इलाका पूरी तरह से अभिशप्त है और वहाँ शैतानी आत्मा का वास है कोई जीवित नहीं बचता वहाँ पर,आप खुश किस्मत हो जो बच गयें।
सारंग खाली उदास आँखों से खिड़की के बाहर देखता रहा।
© Deepa