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असली टीचर
#टीचर
आज टीईटी का परिणाम घोषित हुआ है, शैलेंद्र भी पास हुए है। घर में खुशी का माहौल है। वो क्या है पांडेयपुर मोहल्ले में जनरल कास्ट का लडका एक ही बार में वो भी बिना किसी घूंस के पास हुआ है, कोई कम बात थोरे ना है जी! शैलेंद्र खुश है की अब वो अपने तरीके से बच्चों को इतिहास की सैर करवाएंगे।पर उन्हें क्या पता जिंदगी क्या मोड़ ले आ रही है वे अपने तरीके से बच्चों के बारे में कह रहे थे कि इसमेें उनका बहुत अधिक योगदान रहा और अगर मां के लाड प्यार में रहते तो बच्चे बहुत बिगड़ जाते इसमें उनकी मां का कुछ भी योगदान नहीं हुआ यह सब सुनकर उनकी पत्नी पिछले समय में खो गई जब वो इस घर में आई थी तो उसे बहुत सास‌ ने परेशान किया पर उनकी डांट की वजह से मजबूत भी बनी और अपनी सास की पसंदीदा भी बनी क्योंकि उनके कोई बेटी नहीं थी वह हर बात में बेटे से ज्यादा बहुत पक्ष लेती थी शेलेन्द्र जी थोड़े गर्म स्वभाव के थे और हर बात पर उससे उखडकर ही बात करते थे बच्चों के होने के बाद भी उनके स्वभाव कोई बदलाव नहीं आया वे बच्चों के साथ भी इसी स्वभाव से बात करते थे जिससे बच्चे उनसे दूर होने लगे यह केवल उनकी मां सरलता से बच्चों को समझाती थी बच्चों की पढ़ाई में मां बहुत सहयोग करती थी उनका बड़ा लड़का टीईटी में पास हुआ तो छोटा लड़का वकील बन गया तो उनकी लड़की भी डाक्टर बनी लड़की के जन्म के बाद कुछ दिनों बाद ही दादी ने अंतिम श्वांस ली और घर की सारी जिम्मेदारी शेलैन्द्र की पत्नी पर छोड़कर चल बसी थी धीरे धीरे समय गुजरने लगा बड़ा लड़का अमित नौकरी पर जाने लगा छोटा लड़का विनय भी अपने काम पर व लड़की मीना की भी शादी हो गई धीरे धीरे दोनों बेटों की भी शादी हो गई पर शेलेन्द्र जी का स्वभाव नहीं बदला
यह उनकी बहुओं को भी अखरता था एक बार शेलेन्द्र जी की पत्नी हीना जी नेउन्हें बहुत समझाया पर कोई असर नहीं हुआ एक दिन काम करते करते हीना जी को चक्कर आने लगे वह आराम करने के लिए जैसे कमरे में गई वो सो गई
शेलेन्द्र जी को कुछ अजीब तो लगा पर उन्होंने न उनसे पूछा न जांचने की कोशिश आखिरकार क्या हुआ है अगले दिन हीना जी की मृत्यु हुई तब जाकर उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने बहुत कुछ
गलत किया है इस पर उनके बहुएं बेटे व बेटी खूब रोए कुछ दिनों के बाद बड़ी बहु तेज आवाज में उन्हें घर का राशन लाने के लिए बोली तब उन्हें समझ आया कि हीना जी उन्हें क्यों समझा रही थी लेकिन अब तो बहुत देर हो चुकी थी।
© nil nil