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'ख़ामोशी '
रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाये मन भींगे आज इस मौसम में........ निशा गार्डन में झूले पे बैठी आस पास से बेखबर अपने धुन में मस्त गुनगुना रही थी | "मेरी बेटी की आवाज़ तो बहुत अच्छी है " पापा को देख निशा झेप गयी |" आप कब आये पापा?" निशा ने पूछा तो मम्मी बोली "आधा घंटा हो गया पापा को आये हुए आप तो ख़्वाबों की दुनियां में रहती है, ये नहीं की शाम की चाय ही बना ले "| "अरे गुस्सा काहे को होती है माते अपुन चाय बना देगा ना "निशा ने बोला तो मम्मी और पापा दोनों हंस दिए |" बिलकुल पागल है कभी सीरियस नहीं होती हमेशा मज़ाक के मूड में रहती है" मम्मी ने कहा,तो पापा बोल"े मेरी बेटी का चुलबुलापन उसके ससुराल वालों को...