"गांव का कुआं"
मनोज ऑफिस से घर आकर सुस्ताने बैठा ही था कि फ़ोन की बैल बजने लगीं स्क्रीन पर देखा तो मां ने कॉल किया था। मनोज ने फ़ोन कानों से लगाया तो मां की आवाज़ उसे सुनाई दी लेकिन वो बहुत मरी हुई आवाज़ से बातें कर रही थी,जब मनोज ने कारण पूछा तो वो बोली उन्हें तीन दिन से बुखार है जो उतरने का नाम ही नहीं ले रहा। मनोज चिंतित हो उठा और दवाई का पूछा तो वो बोली सुमित ने उसे ला कर दिया था। मनोज ने मां से कहा कि वो जल्द ही गांव आ रहा है और फिर कुछ दिन उनके साथ रहेगा। सुनकर मां बहुत प्रसन्न हुईं।
पिताजी के गुजरने के बाद मां गांव में अपने छोटे पुत्र सुमित के साथ रहती थी। मनोज नौकरी के सिलसिले में शहर आ गया था, लेकिन उसकी इच्छा थी कि वो मां और सुमित को शहर ले आये और अपने साथ रखें, उसने फ्लैट के लिए आवेदन भी भर दिया था,बस कुछ औपचारिकताएं पूरी होनी...
पिताजी के गुजरने के बाद मां गांव में अपने छोटे पुत्र सुमित के साथ रहती थी। मनोज नौकरी के सिलसिले में शहर आ गया था, लेकिन उसकी इच्छा थी कि वो मां और सुमित को शहर ले आये और अपने साथ रखें, उसने फ्लैट के लिए आवेदन भी भर दिया था,बस कुछ औपचारिकताएं पूरी होनी...