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अब त्योहार का इंतजार नही रहता
वक्त कभी नही रुकता है पांच दिन बाद होली है रंगो का वो प्यार त्योहार बचपन मे जिसका इंतजार महीनों पहले से हुआ करता था।

उमंग और उत्साह देख कर त्योहारों की पता चलता था लेकिन अब ये त्योहार भी कैलेंडर का एक हॉलीडे बन कर रह गया
न बाजारों की चमक रह गई पहले जैसी और न प्रेम रह गया।

सब अपनी भाग तोड़ वाली इस जिंदगी मे इतना व्यस्त हो गए कि वक्त ही नही रहता कैसी पे आधुनिकता के दौर में बहुत पैसे कमाए हैं पैसों से बहुत से खुशियां भी पाया होगा हां लेकिन कभी सोचा अपने बचपन को उसे बचपन के शरारतों को त्योहारों की खुशी तो आंख भर हि आती है

स्मार्ट फ़ोन और सोशल मीडिया के इस दौर में लोग मुस्कुराते भी हैं तो बस एक अच्छी तस्वीर के लिए इंस्टा के रियल के लिए ।
बात भी सही है जब जिंदगी से ही रंग दूर हो रहे हैं तो रंगों का त्यौहार कैसे बनाएंगे
और त्योहारों को महत्व ठीक हो गया शहर तीन जिंदगी का एक हो गया है

© dolly jha