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माँ को लाल पसंद हैं लेकिन क्या हम माँ के लाल हैं??🌍❤🕉
माँ को लाल(संतान) पसंद हैं, जब लाल अर्थात महीने का वो चार दिन जब हर लड़की रूप में छुपी माँ लाल होती हैं। लाल को जन्म देने के लिए 14 या 12 वर्ष से ही वो माँ बन जाती हैं ,क्योंकि वो 4 दिन का लाल वो लाल को जन्म देने के लिए खुशी से स्वीकार करती हैं और अपने ही लाल(दुनियाँ के हर बच्चे रूपी लाल)से छुपाती हैं अर्थात् अपना दर्द जो वो उन दिनों महसूस करती हैं।
अगर कहीं लाल लग जाए कपड़े, बिस्तर पर कोचिंग स्कूल या कहीं भी तो वो छुपाती किससे हैं? उन्हीं लाल से...क्योंकि जिस लाल के लिए वो ये दर्द लेती हैं,
वही उसे दाग कह देते हैं, हँसी उड़ाते हैं, क्योंकि वो माँ का स्वरूप भूल जाते हैं और तन देखने लगते हैं।
जो माँ बच्चों का गंदा जन्म से साफ करते करते अपना पुरा आँचल, साड़ी, सब में अर्थात वस्त्र ,शरीर सबको गंदा कर लेती हैं बच्चों को साफ करने के लिए...
वही बच्चे उन में गंदा देखने लगते हैं।
उस गंगा को जिसने तुम्हारे गंदा को खुद में समाहित कर लिया, वो पापधोरनी गंगा हैं जो अपने लाल के वजह से काला नजर से देखने वाले काल के जाल में फंसकर लाल को निकालती हैं, लेकिन इतिहास गवाह हैं
नारी सतायो तीन गयो... धन, धर्म और वंश
नहीं यकीं तो देख लो.. रावण, कौरव और कंस। मेरे प्यारे भाई बहन even सारे विश्व के बच्चे हम सभी माँ के ही लाल हैं क्योंकि माँ प्राकृति हैं और प्राकृति नहीं तो पाँच तत्व से निर्मित हमारी हस्ती मिट जाएगी। माँ हर लड़की रूप में विचर रही हैं उनका रूप नहीं स्वरूप देखना क्योंकि माँ कभी अपने बच्चे का रूप नहीं देखती उनके लिए उनका लाल सर्वोतम होता हैं फिर चाहे वस्त्र का ढंग अलग हो या काले हो, मोटे हो या बेढंगे हो फिर हम माँ के सभीे लाल महावीर क्यों नहीं???
अर्थात माँ का सपूत, जो माँ के पाँव को स्वर्ग समझता हैं ऐसे महावीर हनुमान जैसे लाल को माँ माँग में भरती हैं।
जिसने स्त्री, या बच्चों में माँ नहीं देखा, शरीर को पाने में लगा रहा वो लाल नहीं काल हैं,
और काल के लिए माँ काली बनकर आती हैं,
क्योंकि हलाल वो होते हैं जो काल होते हैं।
सपूत बनो, सबूत दो..#संतोषी🌍❤🕉🙏🇮🇳