दो जिसम एक जान
#WritcoStoryPrompt116
सब्र होता नहीं हमसे
फिर भी बेसुमार किया
हमने मोहब्बत तुमसे
जानिसार किया
छोटे बड़े कई वादे था
तूने मुझसे किया
मैं पागल तुम्हारे झूठे बातों
पर एतबार किया
कभी आए तो कभी बिना
बताए ही चले गए
और मैन हर पल बस
तुम्हारे आने का इंतजार किया
क्या इतनी ही वफ़ा थी
तुम में जो बेवफाई किया
हमने तो एक तुम्हारे लिए
बहूत कुछ है छोड़ दिया
बस तुझसे नहीं दूर रह सकू इस
लिए हमने अपनी मंज़िल से मुँह फेर लिया
तुम ये कैसे भूल गई हमने
तुम्हारे लिए अपनी ख्वाहिश
का गला था घोट दिया
अब होगी जन्म तो फिर
नहीं करेंगे मोहब्बत
इस ज़िंदगी में हमने ये
गुनाह कर के देख लिया
© रौशन rosi...✍️🍁
सब्र होता नहीं हमसे
फिर भी बेसुमार किया
हमने मोहब्बत तुमसे
जानिसार किया
छोटे बड़े कई वादे था
तूने मुझसे किया
मैं पागल तुम्हारे झूठे बातों
पर एतबार किया
कभी आए तो कभी बिना
बताए ही चले गए
और मैन हर पल बस
तुम्हारे आने का इंतजार किया
क्या इतनी ही वफ़ा थी
तुम में जो बेवफाई किया
हमने तो एक तुम्हारे लिए
बहूत कुछ है छोड़ दिया
बस तुझसे नहीं दूर रह सकू इस
लिए हमने अपनी मंज़िल से मुँह फेर लिया
तुम ये कैसे भूल गई हमने
तुम्हारे लिए अपनी ख्वाहिश
का गला था घोट दिया
अब होगी जन्म तो फिर
नहीं करेंगे मोहब्बत
इस ज़िंदगी में हमने ये
गुनाह कर के देख लिया
© रौशन rosi...✍️🍁
Related Stories