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जब मिला मुझे मेरा ही हमशक्ल part 1
एक सुबह मुझे पाशा की हवेली में बुलाया गया। मैं यह सोचते हुए गया कि शायद उसकी पुरानी हांफने वाली बीमारी लौट आई है। पाशा व्यस्त था और मुझे एक कमरे में इंतजार करने को कहा गया। चंद लमहे बाद एक दरवाजा खुला। मुझसे उम्र में लगभग 5-6 साल बडा एक शख्स अंदर आया। मैंने उसे देखा तो हैरान रह गया। हम दोनों हूबहू एक जैसे थे। इतनी समानता कैसे? यह तो मैं ही था। यों महसूस हुआ जैसे कोई मेरे साथ चल रहा हो और जिस दरवाजे से मैं पहले दाखिल हुआ था, उसके सामने वाले दरवाजे से मुझे दोबारा अंदर लाया गया हो। आंखें चार होते ही हमने एक-दूसरे को सलाम किया, लेकिन वह उतना हैरान नहीं था। फिर मुझे लगा शायद मुझे कोई भ्रम हुआ है। मुझे आईना देखे ही एक साल हो गया है। उसके चेहरे पर दाढी थी, जबकि मैं सफाचट था।