प्रहार
गंगा नदी के किनारे अनुपम नाम का एक छोटा सा गांव था। उस गांव में सभी जाति के लोग आपसी प्रेम की वजह से बहुत ही खुशहाल रहते थे। उसी गांव में एक 10 वर्ष का लड़का (सूरज) रहता था। कम आयु में ही उसके माता पिता की मृत्यु हो गई थी,जिससे वह अनाथ था। दिन भर घूम घूम कर दरवाजे-दरवाजे जाकर मांगता - खाता,शाम होते ही घर आ जाता। गांव के सभी लोग उसकी देखभाल करते, सूरज भी, गांव के सभी लोगों की बात मानता। एक बार की बात है सूरज घूमते-घूमते गांव से कुछ दूर निकल गया और हरी-भरी जंगल की खुबसूरती में गुम हो गया। कुछ देर बाद उसके कानों में कहीं से आवाज आती है(उस आवाज़ में करुणता साफ झलक रही है।) सूरज आवाज की तरफ दौड़ता है, वहां जाकर उसने देखा कि सामने एक दलदल है, उस दलदल से एक भेड़ का बच्चा कुछ दूरी पर है और वह बच्चा धीरे-धीरे उसे दलदल की तरफ बढ़ रहा है। सूरज ज्यादा दूरी पर था, उसने इधर उधर देखा आवाज भी लगाई कहीं से कोई भी जवाब नहीं। सूरत समझ गया कि यह भेड़ का बच्चा अपने दल से बहक गया है, यह जानकर सूरज को उस भेड़ के बच्चे पर दया आई। वह चुपके से दबे पांव जाकर उस भेड़ के बच्चे को पकड़ लेता है।
भेड़ के बच्चे को लेकर अपने घर आता है उसका नाम बाला रखता है। सूरज भी बाला का साथ पाकर बेहद खुश हुआ। सूरज
जहां जहां भी जाता बाला को अपने साथ लेकर जाता। सूरज यदि किसी काम से कहीं चला जाता तो, बाला चिल्ला चिल्ला कर पास पड़ोसियों की नींद खराब कर देता। धीरे-धीरे समय बीतता गया देखते ही देखते 5 वर्ष बीत गए। अब सूरज 15 वर्ष का किशोरावस्था में था, बाला भी खूब मोटा...
भेड़ के बच्चे को लेकर अपने घर आता है उसका नाम बाला रखता है। सूरज भी बाला का साथ पाकर बेहद खुश हुआ। सूरज
जहां जहां भी जाता बाला को अपने साथ लेकर जाता। सूरज यदि किसी काम से कहीं चला जाता तो, बाला चिल्ला चिल्ला कर पास पड़ोसियों की नींद खराब कर देता। धीरे-धीरे समय बीतता गया देखते ही देखते 5 वर्ष बीत गए। अब सूरज 15 वर्ष का किशोरावस्था में था, बाला भी खूब मोटा...