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मास्टरमाइंड (भाग 6)
जब राज तीसरी वीडियो ओपन करता है तो वीडियो देखकर काव्या के पैरों तले से जमीन खिसक जाती है...

वीडियो में रिया एक ब्रिज से खड़े होकर शहर के नज़ारे की वीडियो बना रही होती है... तभी अचानक से उसका कैमरा सड़क की ओर घूमता है... सड़क पर पुलिस की वैन आकर रुकती है, वैन से दो आदमी पुलिस की वर्दी में ( SHO राम और इंस्पेक्टर राकेश) उतरते हैं और सड़क से दूर झाड़ियों की तरफ जाते हैं। उनके जाते ही 5 आदमी आकर वैन को घेर लेते हैं और फिर कुछ देर बाद केवल SHO राम वापस आते हैं और दोनों कॉन्स्टेबल को पिस्टल से गोली मार देते हैं और फिर दिखाने के लिए खुद के हाथों पर भी गोली चला देते हैं।

रिया जो ये सब कुछ देख रही होती है डर की वजह से चिल्ला देती है... और SHO राम की नज़र उस पर पड़ जाती है। उसके बाद SHO राम गुंडो से उसे पकड़ने का आदेश देते हैं...

काव्या: नहीं... ऐसा नहीं हो सकता... मेरे पापा... नहीं... वो ऐसा नहीं कर सकते.. वो ऐसे नहीं है, वो एक ईमानदार पुलिस अधिकारी है.. उन्होंने मुझे हमेशा सच का साथ देना सिखाया है, फ़िर वो एक... (काव्या रोने लगती है)
राज: काव्या सम्भालो अपने आपको।
काव्या: वो मेरे पापा नहीं हो सकते... वो मेरे पापा नहीं हो सकते... (चिखते हुए) मेरे पापा एक अच्छे इंसान हैं।
राज: काव्या.... (चिल्लाते हुए)

कुछ देर बाद...

राज: अब क्या करना है... पुलिस को रिकॉर्ड .....
काव्या: मैंने बचपन से सच का साथ देना सिखा है... पर... पर मैं एक बार अपने पापा से बात करना चाहती हूं।
राज: नहीं... तुम ऐसा नहीं कर सकती। वो एक अपराधी हुए तो.... मेरा मतलब है... तुम समझ रही हो न मैं क्या कहना चाहता हूं...?
काव्या: चिंता मत करो... मुझे पता है मुझे क्या करना है।
राज: फिर कब निकल रही हो घर के लिए?
काव्या: कल सुबह।

अगली सुबह, 9 बजे

काव्या घर जाने की तैयारी कर रही होती है तभी उसे उसकी मां का फोन आता है..

काव्या: हां मां.
सीता: काव्या तुम घर आ सकती हो?
काव्या: क्या हुआ मां.. सब ठीक है ना?
सीता: तुम्हारे पापा... मुझे पता नहीं क्यों उनके साथ रहने में अजीब सा लग रहा है...
काव्या: माँ अपने पहले भी कहा था कि पापा अजीब सा बरताव कर रहे हैं.... क्या आप बता सकती हैं अजीब सा मतलब कैसा..?
सीता: अजीब सा मतलब.... उन्होंने शाम को टीवी देखना बंद कर दिया है, वो रात को मुझे गुडनाइट नहीं कहते हैं, वह देर रात तक अपने फोन में पता नहीं क्या करते रहते हैं... और ना जाने छुप छुपकर किससे बातें करते हैं और सबसे जरूरी बात वो तुम्हारे बारे में बात ही नहीं करते हैं...

अपनी मां की बात सुनकर काव्या हैरान रह जाती है... वह तुरंत ही घर के लिए निकल जाती है।

कुछ देर बाद...

सीता: तुम आ गई?
काव्या: पापा कहाँ है?
सीता: अरे! मैं तो ये बताना ही भूल गई कि वे दो दिन से ऑफिस जा रहे हैं..
काव्या: वैसे मां.... आपको पापा से ही क्यों प्यार हुआ?
सीता: तुम ऐसा क्यों पूछ रही है?? कहीं उनका किसी के साथ चक्कर तो नहीं चल रहा है न??
काव्या: नहीं नहीं मां.... मैं तो ऐसे ही पूछ रही हूं। आप एक इतने बड़े आदमी की बेटी हैं... फिर पापा...
सीता: प्यार अमीरी गरीबी देखकर नहीं होता है.... अच्छा ये सब छोड़ो मुझे ये बताओ कहीं उनका सच में किसी के साथ...
काव्या: माँ डिटेक्टिव तो आपको होना चाहिए मुझे नहीं.... हर किसी को शक की नज़र से ही देखती हो।

काव्या की डिटेक्टिव वाली बात सुनकर सीता जी उदास हो जाती हैं...
वे दोनों कुछ देर तक बात करते हैं और फिर रात को खाने की टेबल पर...

सीता: काव्या.. आज मैंने तुम्हारी पसंदीदा चीज़ बनाई है... "अंडे की सब्जी"
काव्या: धन्यवाद मां।

सीता जी के रसोई में जाने के बाद...

राम: अंडा तो मेरा भी पसंदीदा है...
काव्या: अंडा....... लेकिन....

अभी काव्या कुछ कहने ही वाली होती है कि राम जी अंडा खा लेते हैं......



To Be Continued...
#mastermind
© Sankranti chauhan