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मैं और मेरा टीपूँ ….
यह गाँव की कहानी है….

मेरे गाँव की कुछ ही दूरी एक पहाड़ी है जो कि बहुत ही यात्रियों के लिए मशहूर है इसलिए वहाँ पर बहुत से यात्री आते हैं
मेरे पापा की उस पहाड़ी पर इक छोटी सी दुकान है जो हमारे पूर्वजों से हम काम करते है।वहाँ पर इक आर्मी बेस भी है यहाँ फ़ौजी जवान भी तैनात रहते हैं

और वहाँ पर सर्दी मैं बहुत सारी बर्फ़ भी पड़ती है यही कारण है कि वहाँ पर बहुत से यात्री आते है और आधे से ज़्यादा पहाड़ी पर जंगल है और काफ़ी जानवर भी वहाँ पर रहते हैं और मैं भी अक्सर बचपन से ही वहाँ जाता हूँ वहाँ जाने की वजह सिर्फ़ इक ही थी वो थी मेरी दोस्ती। जो की किसी को हज़म नहीं आ रही थी ।

मैं और मेरा टीपूँ जो कि इक कुत्ता है (अवारा कुत्ता) जो लोग मानते हैं पर मेरे लिए वो मेरा सब कुछ था। मेरा स्कूल भी वहाँ पहाड़ी पें था और मैं स्कूल जाने से पहले उसको देख कर जाना और आने के समय उसके साथ खाना लाना दोनों ने इकट्ठे बैठ कर खाना खेलना शाम तक वहीं रहना
कहते हैं कि इंसान और जानवर की दोस्ती काफ़ी अच्छी होती है। ख़ास कर इंसान और कुत्ता 🐕 मेरे घर वाले कुत्ते पसंद नहीं करते । क्योंकि कुछ साल पहले हमारे पालतू कुत्ते की वजह से मेरे बड़े भाई की मौत हो गई थी तब मैं बहुत छोटा था और तब से हमारे घर में कुत्ता नहीं रखते।

यह कहानी आगे और भी है….

#जलते_अक्षर


© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻