...

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बस इतना सा साथ 70
शिला आंटी - छोरी तेरा हो गया तो एक बार
आकर इसे भी देख ले ।
नेहा- हाँ जी, आंटी जी आई एक मिनट ।
( नेहा जाने लगती है तभी फोन मे मैसेज आता है, देख ही रही होती है कि किसका मैसेज है तभी मम्मी आवाज़ लगाती है। )
नेहा की मम्मी - नेहा, बाद में कर लेना जो करती
रही है , एक बार इधर आ जा । तेरी
आंटी को जाना भी है।
नेहा - बस आ गई। ( और मैसेज किसका है ,
बिना देखे फोन रख चली जाती है। )
( उधर मनीष नेहा के रिप्लाई का इंतजार कर रहा होता है। )
गौरव - क्या हो गया , इतने सूट ट्राई कर लिए
तुझे कोई पसंद नहीें आ रहा ।
मनीष - वो बात नहीं है इनमें । ( मन में सोचता है। ) ये भी पता नहीं कहाँ हैं, आधा घंटा हो गया
अब तो रिप्लाई कर देना चाहिए। ( एक बार
फिर से चैक करता है पर नेहा ने मैसेज देखे
ही नहीं होते हैं। )
( उधर नेहा ड्रेस देखती है , और मम्मी और आंटी से कहती है। )
नेहा - ये लहंगा नहीं लांछा है ।
शीला आंटी- कमलेश भी यही बोल रही थी ।
दोनों एक ही जैसे तो होते हैं।
नेहा- नहीं आंटी, इसकी फिटिंग देखो। मुझे फिट
नहीं होगा ।
शिला आंटी - इतनी भी मोटी नहीं है तू । तेरे से
मोटी तो मेरी कल्पना। ( नेहा की मम्मी से)
ये आजकल की ल़डकियों को लकड़ी जैसा
बनने का ना जाने क्या शौक चढ़ा है ।
( नेहा मम्मी की तरफ देखती है , पर फिर खुद ही लांछा उठा कमर पर लगा दिखाती है। )
नेहा- ये देखो ।
शीला आंटी - ठीक तो है , ये फिटिंग वाले होते
हैं। अब तू इतने ढीले- ढाले पहनती है , तो
तुझे तो टाइट लगेगा ही ।
नेहा - wow , मतलब मुझे मेरे शरीर का ही नहीं
पता । रुको एक मिनट ( कह दूसरे कमरे में जाती है और लांछे को पहन आती है । ) ये देखो।
शीला आंटी - ठीक तो है , थोड़ा नीचे बांध इसको
इतना ऊंचा नहीं बांधते ।
( नेहा की मम्मी हँसती है । )
नेहा - हँसो मत मुझे भी पता है । ( फिर दिखाती
है कि ये टाइट है, इससे नीचे नहीं जाएगा। ) ये
देखो , इससे नीचे नहीं जाएगा , फिटिंग कम
से कम मेरे हिसाब से तो देनी थी । जब ये
ऊपर की चोली हमें ही सिलाई करानी है तो
इसको भी हम ही करा लेते ।
नेहा की मम्मी - तू झाँसी की रानी मत बन ,
इसके अन्दर कपड़ा होगा ना । थोड़ा खुलवा
लेंगे ।
नेहा- उफ्फ, नहीं है इसके अन्दर कपड़ा , थोड़ा
भी नहीं है।
( नेहा की मम्मी और शीला आंटी एक दूसरे को देखते हैं। )
शीला आंटी - तू ला निकाल कर हम देखते हैं।
नेहा - नेकी और पूछ- पूछ अभी लाती हूँ।
( और चेंज करने चली जाती है। )
( उधर गौरव मनीष से परेशान हो जाता है। )
गौरव - भाई, अब तो ब्लू भी ट्राई कर लिया ।
अब तो कोई फाइनल कर ले । तू ना मार्केट
मे नाम खराब कराएगा ।
मनीष - तुझे नाम की पड़ी है, वो ज़वाब तो दे तब
तो कुछ फाइनल करूँ।
गौरव - ( थोड़ा चौंक कर ) वो ज़वाब नहीं दे रही ,
ओह तो भाभी जी के ज़वाब का इंतजार हो
रहा है । अबे तो कॉल कर ले ना ।
मनीष - अरे नहीं यार वो घर पर होगी ।
गौरव - तो क्या नहीं उठाएगी फोन , पर शायद
तब मैसेज तो देख ले ।
मनीष - पर अगर किसी और ने उठा लिया तो ?
गौरव- तो कह देना , गलती से मिल गया ।
मनीष - हाँ , तूने खुद को ही सबसे
अक्लमंद समझा है क्या ।
गौरव - तो तू बता कितनी देर और इंतजार करना
है।
( मनीष कुछ नहीं बोलता, बस सिर पकड़ बैठ जाता है। )
गौरव - वैसे एक और आइडिया भी है।
( मनीष कुछ ध्यान नहीं देता, वैसे ही बैठे रहता है। )
अबे सुन तो ।
( मनीष गौरव की तरफ देखता है, फिर वापिस सिर पकड़ बैठ जाता है। )
मनीष - बोल ।
गौरव - मेरे फोन से फोन मिला ले ।
मनीष - ( गौरव की तरफ देखता है, फिर वापिस
सिर पकड़ कर बैठ जाता है। ) हाँ , तू मुझे
मरवाने के काम ही बताना। किसी और ने
उठा लिया तो?
गौरव - तो भाभी का प्रोफेशन कब काम आएगा।
मनीष - ( सवाल भरी नजरों से देखते हुए। )
मतलब ?
गौरव - ओ मेरे नासमझ आशिक, बोल देना
किसी बंटी - शंटी का पापा बोल रहा हूँ।
मनीष - पापा ?
गौरव - ( माथे पर हाथ मारते हुए। ) भाई बोल
देना ।
मनीष - हम्म , ये ठीक है।
( गौरव अपना फोन मनीष को देते हुए कहता है। )
गौरव- ले मिला फोन ।
( मनीष फोन ले नंबर डायल करता है। )
गौरव - ओ भाई , एक बार नंबर चेक तो कर ले ।
पता चला अपनी भाभी की जगह तू कहीं
किसी और भाभी को ना मिला दे।
मनीष - ( मुस्कुराते हुए। ) तू मिला तो सही।
गौरव - मेरे हाथ में कोई एक्स्ट्रा सिग्नल आएगा,
फोन तेरे हाथ में है मिला ले ।
मनीष - मेरी आवाज़ पहचान ली तो ? पहले तू
बात कर नेहा हो लाइन पर तो मुझे दे देना ।
गौरव - होने वाली बीवी से बात कर रहा है या
साली से ।
मनीष - तू मिला ना ।
( गौरव फोन लेता है और मिलाता है। )
मनीष - क्या हुआ ?
गौरव - घंटी बज रही है ।
( उधर नेहा , नेहा की मम्मी और शीला आंटी लांछे से परेशान होती हैं। )
शिला आंटी- छोरी तो सही कह रही है। कपड़ा
तो जमा ही कोनी । हम तो बस रंग , कढ़ाई
को निहारते रहे। ये तो देखा ही नहीं।
नेहा की मम्मी - पर अब क्या ।
( ज्योति देखती है, नेहा का फोन बज रहा है। नेहा को आवाज लगाती है। )
ज्योति - तेरा फोन बज रहा है।
नेहा - रहने दे ।
( उधर गौरव और मनीष इंतजार कर रहे हैं फोन उठाने का , पर पूरी घंटी बज फोन कट जाता है।)
गौरव - तेरी किस्मत खराब है भाई, कुछ ज्यादा
ही बिजी है भाभी। अब तू इनमें से ही कोई
फाइनल कर ले।
मनीष - ( थोड़ी दबी आवाज में। ) एक बार और
मिला के देखें।
गौरव - जैसे मैं मना करूँगा तो वो मान जाएगा।
( दोनों अपने में मुस्कुराते हैं, और गौरव फोन मिलाता है। )
( ज्योति कमरे से बाहर जा ही रही थी , कि तभी नेहा का फोन फिर से बजता है । एक बार तो जाने लगती है फिर उठाती है। )
ज्योति - हेल्लो।
गौरव - ( मनीष को इशारा करता है कि फोन उठा लिया । ) हेल्लो, आप नेहा मैम बोल रहे हो।
ज्योति- एक मिनट बुलाती हूँ । ( फोन रख आवाज लगाती है। ) किसी का फोन, होल्ड पर
है पहले बात कर ले ।
नेहा - हाँ, आ रही हूँ । अभी आई ।( आंटी और मम्मी को ये कहते हुए जाती है और फोन उठाती है । )
नेहा - हेल्लो ..
( गौरव स्पीकर ओन करता है और मनीष को बोलने का इशारा करता है । मनीष स्पीकर बंद करने लगता है पर गौरव बंद नहीं करने देता। इतने में नेहा फिर से बोल पड़ती है। )
नेहा - हेल्लो , कोई है भी फोन पर या नहीं।
मनीष- ( झिझकते हुए ) हाँ हेल्लो।
( नेहा एक बार फोन पर नंबर देखती है , फिर कहती है । )
नेहा - आप ..... , आप ये किस नंबर से फोन कर
रहे हो।
गौरव (मनीष को छेड़ते हुए ) - क्या बात है आवाज से ही पहचान लिया। सही जा रहे हो ।
( मनीष मन ही मन खुश होता है, चेहरा भी ज़रा लाल हो जाता है। इंतजार कर नेहा फिर से बोलती है। )
नेहा - आप ही हो ना ।
मनीष - हाँ, वो ...
नेहा- ये किसका नंबर है।
मनीष- ये गौरव का ।
नेहा - गौरव? ( असमंजस भरे स्वर में ।)
मनीष - तुम्हारा भाई नहीं, मेरा दोस्त है ।
नेहा - अच्छा ।
मनीष - और क्या चल रहा है।
नेहा - बहुत सारा confusion ।
मनीष - मतलब ।
नेहा - फ़ुरसत में बताती हूँ, अभी थोड़ा बिजी हूँ।
आप बताओ कुछ काम था । ।
मनीष - मतलब काम पर ही फोन करूँगा।
नेहा - जब दोस्त के फोन से कॉल कर रहे हो , तो
कुछ जरूरी बात ही होगी।
मनीष - स्मार्ट।
नेहा - इसे कॉमन सेंस कहते हैं जो शायद मेरा
आपसे ज्यादा है। ( कहते हुए हल्का सा हँसती है। )
मनीष - अच्छा जी । ( गौरव भी बात सुन दोनों की हँसता है। )
नेहा - हाँ जी । ( तभी शीला आंटी आती हैं। )
शीला आंटी - फोन पर बाद में बतिया लेना ,
पहले उसको निपटा लेते हैं।
नेहा - हाँ जी, दो मिनट अभी आई आंटी जी ।
शीला आंटी - रहने दे , तेरा दो मिनट सब पता है
मुझे। दिखा इधर कौन बच्चा है मैं कहती
हूँ घंटे भर बाद में बात कर लेगा । ( आंटी आगे बढ़ने लगती है फोन लेने के लिए , नेहा अपने आप दो कदम पीछे हो जाती है। उधर मनीष और गौरव भी फोन काटने वाले होते हैं । )
नेहा - आती हूँ ना आंटी , बस आप चलो मैं
आती हूँ। क्यूँ फालतू में बच्चे को डांट
लगाना। शीला आंटी - क्यूँ नहीं डांटना,
एक संडे भी इनको चैन नहीं है ।
गौरव - एक दम सही बात है।
नेहा - आप चलो ना , मैं बस यूँ आई।
शीला आंटी - ( जाते हुए ) जल्दी आना ।
नेहा - हाँ जी । ( आंटी के जाते ही मनीष से ) हाँ
जी जल्दी बोलो क्या हुआ ।
मनीष - वो तुम्हारे फोन पर कुछ फोटो भेजी हैं
suits की । एक बार देख कर बताना कौन
सी फाइनल करूँ।
( नेहा फोन में चेक करती है, 35 फोटो आई हुई होती हैं। )
नेहा - 35 को आप कुछ कहते हैं।
( गौरव सुन हँसता है। )
मनीष - हाँ तो , तुम रिप्लाई ही नहीं कर रहे थे ।
नेहा - ( हँसते हुए ) ओह दूल्हे राजा मैं शाम तक
नहीं देखती तो क्या पूरी दुकान ट्राई कर
डालते। नहीं- नहीं पूरा मार्केट क्यूंकि एक
दुकान के तो अपनी साईज के आप सारे
ट्राई कर चुके होंगे ।
( गौरव सुन मनीष के खूब मजे लेता है। )
मनीष - ( थोड़ा सा रूठे स्वर में) मतलब एक
तो ...
नेहा- ( बीच में ही बोलते हुए ) एक मिनट सर,
उखडिए मत वरना suits की साईज यूँही
बिगड़ जाएगी । मस्ती को छोड़िए आपने
मुझे पूछा सीरियसली मुझे बहुत अच्छा
लगा । पर मैं यही कहूँगी जिसमें आप
कम्फर्टेबल हो वो ले लो । अब मैं ये कहूँ
कि मुझे एक दम ट्रडिशनल अवतार
चाहिए तो ये पॉसिबल तो नहीं है ना । तो
मस्त हो जाइए जो आपको पसंद हो वो ले
लीजिए। पूरी जिंदगी है ना एक दूसरे की
पसंद का पहनने के लिए।
मनीष - हम्म।
नेहा - क्या हुआ , मन नहीं मान रहा । चलो मैं
देखती हूँ।
मनीष - नहीं- नहीं ऐसा कुछ नहीं है । तुम भी
शायद थोड़ा बिजी हो , मैं देखता हूँ। तुम
जाओ आंटी जी आ जाएंगी वरना फिर से ।
नेहा - हाँ , ओके bye
मनीष - bye
( दोनों फोन रखने ही वाले होते हैं कि नेहा बोलती है। )
नेहा - अच्छा सुनो, ट्विनींग के चक्कर में कोई
लाइट रंग मत ले लेना । आप पर अच्छा
नहीं लगेगा। मतलब अच्छा नहीं लगता
लाइट सूट।
( गौरव हँसता है ।)
मनीष - ओके मैम और कोई हुकुम।
नेहा - नहीं, आज के लिए इतना ही। bye
मनीष - bye ।
( गौरव फोन रखता है और कहता है। )
गौरव - भाभी तो मस्त है , तेरी तो निकल पड़ी।
मनीष - और तेरी , तू बड़ा स्पीकर पर फोन कर
मजे ले रहा था ।
गौरव - कैसे मजे, मुझे लगा कुछ मिलेगा ऐसा
सुनने को कि मुझे कान बंद करने पड़ेंगे।
पर तुम दोनो तो हेल्लो, हाँ जी, सुनो बस
इसी में लगे हुए थे । सो बोरिंग ।
मनीष - ( कंधे पर हाथ रखते हुए। ) हम बोरिंग
ही सही , तू इंट्रेस्टिंग बन जाना। अभी चल
कुछ फाइनल करते हैं।
गौरव - अरे हाँ यार , बहुत देर हो रही है।
( और दोनों सूट देखने लगते हैं। उधर नेहा के घर अलग झंझट होती है। )
नेहा की मम्मी - ( शीला आंटी से ) तो अब ।
( नेहा चुप - चाप पीछे जा खड़ी हो जाती है । )
शीला आंटी - तो अब तू तेरी समधन से बात
करियो इसे बदलवाने की , क्यूंकि अंदर
बिना कपड़े के टैलर भी क्या करेगा ।
( नेहा मम्मी और आंटी की बात सुनती है, और सोचती है वो अपना खुद लेने गए मेरा भी ले आते खुद तो क्या जाता । वैसे क्या पसंद आया है उनको देखूँ तो सही । सोच फोन निकाल पिक्चर्स देखती है। पसंद तो अच्छी है फिर एक फोटो वापिस भेजती है। और मनीष को मैसेज करती है। )
मनीष- इनमें से ये सबसे अच्छा है।
आपका फेवरेट भी है , ब्लू ।
( मनीष मैसेज देखता है और मुस्कुराता है जिसे देख गौरव कहता है। )
गौरव - लगता है भाभी को फ़ुरसत मिल ही गई ।
( मनीष नेहा की भेजी हुई फोटो दिखाता है। )
गौरव- क्या बात है पसंद भी मिलती है । ओए तुम कहीं वो 36 के 36 गुण वाले तो नहीं हो।
मनीष - पता नहीं, पर दोनों के मिला के तो 36 हो ही जाएंगे । ( और नेहा को मैसेज करता है ।)
मनीष- 👍
नेहा मैसेज देख मुस्कुराती है और सोचती
है-
" बात बड़ी नहीं है ,
याद सी गहरी नहीं है
पर फिर भी इस दिल में
ना जाने क्यूँ
गुदगुदी सी हुई है
दिल बहकने लगा है
प्यार के एहसास में
इस बात की चेतावनी
जुबां ने दे दी है। "

continued to next part.....
© nehaa