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बिधवा
19 साल की थी वो जब उसकी शादी हुई। शादी के 10 महीने बाद माँ बन गई और शादी की पहली सालगिरह के दिन उसके पति की सड़क दुर्घटना में मौत गई गई। और वो बेधवा हो गई। अब उसकी माँ उसका दूसरा विवाह करना चाहती हैं
उसकी माँ को लगता है की बेटा पहाड़ सी ज़िंदगी अकेले नहीं कटेगी.....
पर वो विवाह नहीं करना चाहती,
तो आस पास के लोग उसकी माँ को कह रहे हैं देख बहन अब ये दूसरी शादी नहीं करना चाहती है तो इसको भेज दो इसके ससुराल वालो के पास और बच्चे भी उन्ही को सौंप दो,
तुम्हारा काम था बेटी क ब्याहना अब वोलोग देखेंगे, अब उसकी ज़िम्मेदारी है
और उसजी सास को लगता है वो कलमुही है उसके बेटे को खा गई, तो वो भी उसे नहीं रखना चाहते।
अब वो लड़की कहाँ जाए....?

क्यों उसे उस गुनाह का कसुरवार ठहराया जा रहा की जो उसने किया हि नहीं है ?
और क्या लड़की की शादी के बाद माँ बाप की कोई ज़िम्मेदारी नहीं है ?
और अगर ऐसा है तो क्यों किया उसका इतनी जल्दी विवाह जब वो economically independent नहीं थी ?
उसको क्यों नहीं पढ़ने दिया गया की अगर कभी ऐसी स्थिति आये तो किसी की शरण ना लेना पड़े ?

ऐसे सवालों पर हमारा समाज अपना घिसा पिटा कुतर्क देता हैं
और लड़की ऐसे बोल देती है सवाल उठाती हैं उसको दबाया जाता की
यह समाज बहुत हि दोगला हैं
इसलिए तुम बोलना, अपना आवाज़ उठाना, अपना हक मांगना सती से तुम काली हो जाना जरूरत पड़ने पर,
अगर तुम नहीं बोलोगी तो तुम्हारी चुप्पी का मतलब ये सब हाँ समझ लेगा ।
© अmrit...