...

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मजदूर
सबके सामने सुधीर बाबू ने उसे मजदूर कह कर दुत्कारा।मारा पीटा और उस पे चोरी का इल्ज़ाम लगा कर हवालात भिजवा दिया। उसके लाख कहने पर भी सुधीर बाबू ने उसकी एक ना सुनी ..!! रामलाल कहता रहा बाबूजी मैं एक मजदूर हूं।चोर नहीं...!
आखिर मैंने किया क्या है....? सिर्फ अपनी मजदूरी ही तो मांगा है..!अपने मेहनत की कमाई ही तो चाहिए मुझे,
वो भी आप देने से इंकार कर रहें हैं। ऊपर से मुझ गरीब पर यह झुठा आरोप कि मैं आपके यहां चोरी के मनसुबे से आया था। नहीं बाबूजी नहीं.....!रामलाल मजदूर हैं।
चोर नहीं...
जब इस बात की जानकारी बड़े साहब को मिली तब उन्होंने सुधीर बाबू को अपने कैबिन में बुला कर कहा।
तुम जानते भी हो कि अगर ये मजदूर हमारे साथ नहीं होंगे तो हमारा क्या होगा...?ये काम कौन करेगा..?
आज हम जो ये एश ओ आराम की जिंदगी जी रहे हैं। हमारे एक बार कह देने से काम चुटकियों में हो जाता है।ये सब इन मजदूरों की मेहरबानियों का ही नतीजा है।
अपनी गलती का एहसास होते ही सुधीर बाबू हवालात पहुंच कर रामलाल से माफ़ी मांगी और उनका बेल भी करवाया..!!
किरण