...

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अपूरणीय क्षति
ज्यादा पढ़ा लिखा होना भी बेकार है क्या जिन्दगी है ,आपके दिमाग में क्या चल रहा है अपने परिवार वालों को तो बतायेंगे नहीं तो उन्हें कैसे पता चलेगा माजरा क्या है
उन्होंने मेरे बराबर आकर चलते चलते कहना जारी रखा ,
नॉन स्टॉप बोले चले जा रहे थे
( मैंने अपने मित्र को इशारे से रोकते हुए कहा )
एक मिनट एक मिनट तफ्सील से बताइये किसके बारे में
बता रहे हैं यह सब ,
उन्होंने एक क्षण मुझे देखा बोले किस लोक में रहते हो यार !
इतना कुछ घटित हो गया और पूछ रहे हो क्या हुआ ,
अरे ये पूछाे कि क्या नहीं हुआ एक परिवार के तबाही का
दुखद मंजर इससे बड़ा क्या होगा कि (कहते कहते उनका गला रूंध गया थोड़ा संयत होकर फिर बोले )
कुछ न पूछो कल रात नेहा ने कुछ गटक लिया और आज अस्पताल में दम तोड़ दिया !

फिर उन्होंने कहा कि मेरे पड़ोसी शर्मा सा. की बेटी बड़ी स्मार्ट पढ़ी लिखी अरे ! क्या पढ़ी लिखी साहब ,वाकई पढ़े लिखे लोग ही ऐसे कदम उठाते हैं एक अनपढ़ अनगढ़ व्यक्ति कभी संघर्ष से नहीं घबराता वह रो लेगा साहब ,अपने ऑंसू पोंछकर ख़ुद को सांत्वना दे लेगा ईश्वर पर विश्वास रख उसके विधान को स्वीकार कर फिर चल देगा जिन्दगी की राह में बढ़ ।

(मैंने अक्सर नेहा को उसकी माँ के साथ मंदिर आते जाते उनके काम में हाथ बँटाते देखा था वहीं पास में तो घर दुकान थे उसके पापा के ! सुबह शाम मेरा उनसे प्रणाम होता ही था
इस अनपेक्षित घटना से मैं अनभिज्ञ ही था )

क्या खूब विश्लेषण था क्या कयास था अपना अपना आकलन लोग करते है ,
पर असल बात कौन जानता है काश ! ऐसे कदम उठाने से पहले किसी से अपने दोस्त,परिजन या प्रिय से अपने दिल के भाव कह दिए जाए या अप्रिय घड़ी को टाला जा सकता हो ,
क्यूँ ऐसा होता है क्यूँ दिमाग की सोचने की शक्तिशून्य हो जाती है क्यूँ मन नहीं सोचता अपने परिवार के बारे में ,
उनके दुःख की पीर के बारे में

एक हँसता मुस्काता जीवन यूँ बर्बाद हो ,माता पिता के अरमान यूँ देखते देखते धूँ -धूँ हो जाए तो इससे बड़ी क्षति क्या होगी अपूरणीय क्षति ...।

-MaheshKumar Sharma
16/12/2022

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