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मजबुती me बांधा एक ristha
24 फरवरी संडे का दिन सुबह के नौ बज रहे थे। इंदौर शहर के जागृति नगर की गली नंबर 14 मे एक घर के बाहर स्लेटी रंग का स्कूटर खड़ा था जो अक्सर इस समय यहाँ दिखाई नहीं देता था क्योंकि आज संडे था। वरना आम दिनों में तो केवेन्द्र जी इसपर बैठकर ऑफिस के लिए निकल जाया करते थे लेकिन केवेन्द्र वर्मा जी ठहरे सरकारी मुलाजिम तो आज दफ्तर की छुट्टी होने की वजह से घर के आँगन मे चेयर लगाकर अपनी आँखों पर चश्मा चढ़ाए बड़े आराम से अखबार पढ़ रहे थे। वहीं आगन में दूसरी तरफ बैठी उनकी श्रीमती सारिका जी जो हाथों में थाली लिए कुछ काम कर रही थी वो अपनी आँखों का चश्मा ठीक करते हुए कहती है -"अजी सुनते हो, अब हमारी अन्या भी बड़ी हो गई है इस साल तो उसका कॉलेज भी पूरा हो जाएगा। तो मैं क्या सोच रही थी क्यों ना हम भी उसके लिए कोई अच्छा सा लड़का देखकर उसके हाथ पीलें कर दें देखिए सुजाता जीजी ने भी दिव्यंका बिटिया का रिश्ता कितने बड़े घर में किया है।"

इससे पहले कि वर्मा जी उनकी बात का कोई जवाब देते रसोईघर की तरफ से कोई कहता है- "देखो ना पापा माँ तो बस हर समय मेरी शादी के पीछे पड़ी रहती है। आप तो जानते हैं ना जब तक मैं अपना कलेक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर लेती तब तक मैं कोई शादी वादी नहीं करने वाली

इससे पहले कि वर्मा जी उसकी इस बात का कोई जवाब देते

दरवाजे की तरफ से कोई कहता है- “अरे अन्या बिटिया

तुम्हारी माँ सही तो कह रही हैं और वर्मा जी आप भी जरा

अब अपनी बेटी के हाथ पीले करने के बारे मे सोचिए हमे

देखिए हम अपनी बेटी का रिश्ता सिर्फ शहर के ही नहीं बल्कि देश के सबसे रहीस खानदान में करने जा रहे हैं और ऐसी शादी होगी कि पूरा इंदौर शहर याद रखेगा।" ये और कोई नहीं सारिका जी की बड़ी बहन के पति सैलेश राठी है।

उन्हें आते देख सारिका जी अपनी साड़ी ठीक करते हुए उठी और मुसकुराते हुए कहती है "अरे जीजाजी आप यहाँ - . आइए आइए बैठिए।"

और फिर अन्या की तरफ देखकर कहती है- "जाओ अन्या बिटिया जाकर अपने मोसाजी के लिए कुछ चाय पानी का इंतजाम करो।"

तभी राठी जी ने मुसकुराते हुए कहते है "अरे नहीं नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है, हम तो बस यहाँ आप लोगों को ये मिठाई देकर याद दिलाने आए थे कि कल आप सभी लोगों को हमारी बेटी दिव्यंका की शादी में शामिल होने के लिए शहर के 7 स्तर होटल मे आना है और बस यहाँ आते ही आप लोगों को ये बातें करते हुए सुना तो हमने सलाह दी और कुछ नहीं । अब हम चलते हैं घर मे हुत काम हैं।"
ये कहकर वो वहाँ से जाने के लिए मुड़े ही थे कि अन्या अपने पापा की तरफ देखकर कहती है- "माफ कीजिएगा मौसा जी! लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है हमे हमारे पापा पर पूरा भरोसा है वो हमारे लिए जो भी करेंगे वो हमारे लिए अच्छा ही होगा। और वैसे भी हम किसी रहीस लड़के से नहीं बल्कि एक आदर्शवादी लड़के से शादी करना चाहते हैं। "

ये सुनकर राठी जी ने मुसकुराते हुए कहते है " जैसी तुम्हारी मर्जी हम तो बस सलाह दे रहे थे ठीक है अब हम चलते हैं।" ये कहते हुए राठी जी वहाँ से जाने के लिए दरवाजे की तरफ मुड गए।

और उनके जाने के बाद अन्या ने अपने पापा की तरफ देखकर कहती है- "पापा आप चिंता मत कीजिए देखिएगा हमारे लिए कोई रहीस नहीं बल्कि समझदार लड़का मिलेगा।" ये कहकर वो अपने कमरे की तरफ चली गई।

अगले दिन इंदौर शहर के 7 स्टार इंदौर marriott होटल में जोरों से शोरों से शादी की तैयारियां हो रही थी चारों तरफ खूबसूरत और महकते हुए फूलों से सजावट के साथ साथ पूरा होटल रंग बिरंगी रोशनी से जगमग रहा था। शादी के इस भव्य आयोजन के साथ साथ मेहमानों के ठहरने का भी बहुत अच्छा इंतजाम किया गया था। होटल के बाहर लंबी और लग्जरी गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई थी। हो भी क्यों ना भाई मुंबई शहर के RR ग्रुप के मालिक दिग्विजय रॉय चौहान के बड़े पोते रुद्र रॉय चौहान की शादी जो थी। वही चौहान परिवार जिनके साथ रिश्ता जोड़ने के लिए भारत के रहीस से रहीस और राजसी खानदान उतावले बैठे थे आज उनका रिश्ता इंदौर परिवार के छोटे से बिजनेसमैन सैलेश राठी के परिवार से जुड़ने जा रहा था। राठी परिवार की तो मानो किस्मत ही खुलने वाली थी।

एक तरफ जहां चौहान परिवार बारात के निकलने की तैयारियों में जुटा हुआ था वहीं होटल के दूसरे हिस्से में जहां राठी परिवार के ठहरने का इंतजाम किया गया था वहाँ बारात के स्वागत की तैयारियां चल रही थी। अन्या भी इधर से उधर भागते हुए उस शादी के कामों में पूरी तरह से जुटी हुई थी सिम्पल से हल्के गुलाबी रंग के लहंगे के साथ लाइट मेकअप मे भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।

वहीं दूसरी तरफ दिग्विजय जी जिन्होंने सफेद रंग की शेरवानी जिसपर सोने के बटन लगे थे और हाथ में छड़ी लिए जिसके हैन्डल पर हीरे जड़े थे सोफे पर बैठे सारा इंतजाम देख रहे थे। उनकी बड़ी बड़ी मुच्छे उनके रोबीले ठाकुर होने बयां कर रही थी उन्हे देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई राजा खड़ा हो। तभी उन्होंने एक तरफ झुंड में हंसी ठिठोली करते 21-22 साल के लड़के की ओर देखकर कहते है - "रेहान बेटा..!"

रेहान रुद्र का छोटा भाई और घर मे सबका लाड़ला । वो अपने दादाजी की बात सुनते ही एकदम से उनकी तरफ आते हुए बोला, "जी दादाजी..!" दादाजी उसकी तरफ देखकर कहती है- "जाओ जरा जाकर

देखो तुम्हारे भाई रुद्र तैयार हुए या नहीं बारात के निकलने का समय होने ही वाला है।"
ये कहकर वो वहाँ से जाने के लिए मुड़े ही थे कि अन्या अपने पापा की तरफ देखकर कहती है- "माफ कीजिएगा मौसा जी! लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है हमे हमारे पापा पर पूरा भरोसा है वो हमारे लिए जो भी करेंगे वो हमारे लिए अच्छा ही होगा। और वैसे भी हम किसी रहीस लड़के से नहीं बल्कि एक आदर्शवादी लड़के से शादी करना चाहते हैं। "

ये सुनकर राठी जी ने मुसकुराते हुए कहते है " जैसी तुम्हारी मर्जी हम तो बस सलाह दे रहे थे ठीक है अब हम चलते हैं।" ये कहते हुए राठी जी वहाँ से जाने के लिए दरवाजे की तरफ मुड गए।

और उनके जाने के बाद अन्या ने अपने पापा की तरफ देखकर कहती है- "पापा आप चिंता मत कीजिए देखिएगा हमारे लिए कोई रहीस नहीं बल्कि समझदार लड़का मिलेगा।" ये कहकर वो अपने कमरे की तरफ चली गई।

अगले दिन इंदौर शहर के 7 स्टार इंदौर marriott होटल में जोरों से शोरों से शादी की तैयारियां हो रही थी चारों तरफ खूबसूरत और महकते हुए फूलों से सजावट के साथ साथ पूरा होटल रंग बिरंगी रोशनी से जगमग रहा था। शादी के इस भव्य आयोजन के साथ साथ मेहमानों के ठहरने का भी बहुत अच्छा इंतजाम किया गया था। होटल के बाहर लंबी और लग्जरी गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई थी। हो भी क्यों ना भाई मुंबई शहर के RR ग्रुप के मालिक दिग्विजय रॉय चौहान के बड़े पोते रुद्र रॉय चौहान की शादी जो थी। वही चौहान परिवार जिनके साथ रिश्ता जोड़ने के लिए भारत के रहीस से रहीस और राजसी खानदान उतावले बैठे थे आज उनका रिश्ता इंदौर परिवार के छोटे से बिजनेसमैन सैलेश राठी के परिवार से जुड़ने जा रहा था। राठी परिवार की तो मानो किस्मत ही खुलने वाली थी।

एक तरफ जहां चौहान परिवार बारात के निकलने की तैयारियों में जुटा हुआ था वहीं होटल के दूसरे हिस्से में जहां राठी परिवार के ठहरने का इंतजाम किया गया था वहाँ बारात के स्वागत की तैयारियां चल रही थी। अन्या भी इधर से उधर भागते हुए उस शादी के कामों में पूरी तरह से जुटी हुई थी सिम्पल से हल्के गुलाबी रंग के लहंगे के साथ लाइट मेकअप मे भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।

वहीं दूसरी तरफ दिग्विजय जी जिन्होंने सफेद रंग की शेरवानी जिसपर सोने के बटन लगे थे और हाथ में छड़ी लिए जिसके हैन्डल पर हीरे जड़े थे सोफे पर बैठे सारा इंतजाम देख रहे थे। उनकी बड़ी बड़ी मुच्छे उनके रोबीले ठाकुर होने बयां कर रही थी उन्हे देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई राजा खड़ा हो। तभी उन्होंने एक तरफ झुंड में हंसी ठिठोली करते 21-22 साल के लड़के की ओर देखकर कहते है - "रेहान बेटा..!"

रेहान रुद्र का छोटा भाई और घर मे सबका लाड़ला । वो अपने दादाजी की बात सुनते ही एकदम से उनकी तरफ आते हुए बोला, "जी दादाजी..!" दादाजी उसकी तरफ देखकर कहती है- "जाओ जरा जाकर

देखो तुम्हारे भाई रुद्र तैयार हुए या नहीं बारात के निकलने का समय होने ही वाला है।"
ये कहकर वो वहाँ से जाने के लिए मुड़े ही थे कि अन्या अपने पापा की तरफ देखकर कहती है- "माफ कीजिएगा मौसा जी! लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है हमे हमारे पापा पर पूरा भरोसा है वो हमारे लिए जो भी करेंगे वो हमारे लिए अच्छा ही होगा। और वैसे भी हम किसी रहीस लड़के से नहीं बल्कि एक आदर्शवादी लड़के से शादी करना चाहते हैं। "

ये सुनकर राठी जी ने मुसकुराते हुए कहते है " जैसी तुम्हारी मर्जी हम तो बस सलाह दे रहे थे ठीक है अब हम चलते हैं।" ये कहते हुए राठी जी वहाँ से जाने के लिए दरवाजे की तरफ मुड गए।

और उनके जाने के बाद अन्या ने अपने पापा की तरफ देखकर कहती है- "पापा आप चिंता मत कीजिए देखिएगा हमारे लिए कोई रहीस नहीं बल्कि समझदार लड़का मिलेगा।" ये कहकर वो अपने कमरे की तरफ चली गई।

अगले दिन इंदौर शहर के 7 स्टार इंदौर marriott होटल में जोरों से शोरों से शादी की तैयारियां हो रही थी चारों तरफ खूबसूरत और महकते हुए फूलों से सजावट के साथ साथ पूरा होटल रंग बिरंगी रोशनी से जगमग रहा था। शादी के इस भव्य आयोजन के साथ साथ मेहमानों के ठहरने का भी बहुत अच्छा इंतजाम किया गया था। होटल के बाहर लंबी और लग्जरी गाड़ियों की लंबी कतार लगी हुई थी। हो भी क्यों ना भाई मुंबई शहर के RR ग्रुप के मालिक दिग्विजय रॉय चौहान के बड़े पोते रुद्र रॉय चौहान की शादी जो थी। वही चौहान परिवार जिनके साथ रिश्ता जोड़ने के लिए भारत के रहीस से रहीस और राजसी खानदान उतावले बैठे थे आज उनका रिश्ता इंदौर परिवार के छोटे से बिजनेसमैन सैलेश राठी के परिवार से जुड़ने जा रहा था। राठी परिवार की तो मानो किस्मत ही खुलने वाली थी।

एक तरफ जहां चौहान परिवार बारात के निकलने की तैयारियों में जुटा हुआ था वहीं होटल के दूसरे हिस्से में जहां राठी परिवार के ठहरने का इंतजाम किया गया था वहाँ बारात के स्वागत की तैयारियां चल रही थी। अन्या भी इधर से उधर भागते हुए उस शादी के कामों में पूरी तरह से जुटी हुई थी सिम्पल से हल्के गुलाबी रंग के लहंगे के साथ लाइट मेकअप मे भी वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।

वहीं दूसरी तरफ दिग्विजय जी जिन्होंने सफेद रंग की शेरवानी जिसपर सोने के बटन लगे थे और हाथ में छड़ी लिए जिसके हैन्डल पर हीरे जड़े थे सोफे पर बैठे सारा इंतजाम देख रहे थे। उनकी बड़ी बड़ी मुच्छे उनके रोबीले ठाकुर होने बयां कर रही थी उन्हे देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई राजा खड़ा हो। तभी उन्होंने एक तरफ झुंड में हंसी ठिठोली करते 21-22 साल के लड़के की ओर देखकर कहते है - "रेहान बेटा..!"

रेहान रुद्र का छोटा भाई और घर मे सबका लाड़ला । वो अपने दादाजी की बात सुनते ही एकदम से उनकी तरफ आते हुए बोला, "जी दादाजी..!" दादाजी उसकी तरफ देखकर कहती है- "जाओ जरा जाकर

देखो तुम्हारे भाई रुद्र तैयार हुए या नहीं बारात के निकलने का समय होने ही वाला है।"
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