...

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बताओ... तुम कब आओगी❤️❤️
तुम्हारे इंतजार में आंखें बिछाए बैठा हूं,
बताओ...तुम कब आओगी...
फूल भी मुरझा गए तुम कब इन्हें खिलाओगी,
पेड़ -पौधे भी बदलने लगे है
यह दूरी कब मिटाओगी...
तुम्हारे इंतजार में आंखें बिछाए बैठा हूं,
बताओ...तुम कब आओगी...

क्या तुम मुझसे मिलने के लिए
कोई कदम उठाओगी,
वीरान हुए हमारे प्यार के सागर को
क्या तुम फिर से जगमगाओगी....
बताओ... तुम कब आओगी

तुम्हारी यादो में बैठे हुए
जब दर्द सारे उभर आएंगे,
ये ठंडी हवा के झोंके भी ना
उनको सहला पाएंगे,
देख कर फिर से जी उठूंगा
जब तुम बाहों में मुझे सुलाओगी,
गम सारे निराशा के
क्या दूर तुम कर पाओगी...
तुम्हारे इंतजार में आंखें बिछाए बैठा हूं,
बताओ...तुम कब आओगी...

प्यासे के लिए जैसे पानी बनकर
क्या तुम यू ही मुझे सताओगी,
या वैशाख में जैसे बारिश बनकर
मुझे तुम यू ही भीगाओगी,
या फूल पे जैसे भवरा बनकर
मुझे और महकाओगी....
तुम्हारे इंतजार में आंखें बिछाए बैठा हूं,
बताओ...तुम कब आओगी...

झूलस रहा है तन घायल होकर
क्या तुम दवा बन पाओगी,
प्यार भरे शब्दों से
कब मन को समझाओगी,
वादा किया है जल्दी आओगी..
बताओ नाराज इस दिल को
कैसे तुम मनोओगी...
तुम्हारे इंतजार में आंखें बिछाए बैठा हूं,
बताओ...तुम कब आओगी...

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️
@Ashishsingh #Ashishsingh #mysteriouswriter