मिलने की आस (अधूरी इच्छा) भाग -2
पिछली कहानी में श्री, श्याम के घर जाता तो है परंतु मिल नहीं पाता और बाहर ही खड़ा रह जाता है ।कहानी में अब आगे ........
कुछ देर बाद श्री वहां से जा ही रहा होता है की श्याम घर से बाहर निकलकर आता है और अचानक से श्री... तुम यही हो ना कहकर चिल्लाता है ।श्री यह सुनकर रुक जाता है और बहुत खुश हो जाता है उसे एक पल ऐसा लगता है जैसे उसका दोस्त उसे देख सकता है , परंतु कुछ ही क्षण बाद उसका यह वहम टूट जाता है क्योंकि श्याम तो अपने लॉकेट से बातें करता रहता है वह कहता है अरे दोस्त तुमने ही तो कहा था की जब भी मेरी याद आए इस लॉकेट को देखना और मुझे पुकारना मैं आ जाऊंगा ।
उधर पास में ही खड़ा श्री की आंखे भर आती है और वह अपने दोस्त को देखकर रो पड़ता है ।श्याम श्री को याद करते करते वही बाहर खाट पे सो जाता है श्री भी वही अपने दोस्त के पास रुक जाता है ।
अगली सुबह श्याम चिल्लाते हुए मां मां मां ...
आज मेरा दोस्त आने वाला है आज मेरा दोस्त आने वाला है जल्दी से लड्डू बना दे बेसन का उसे बहुत पसंद है । आज मैं अपने दोस्त से मिलूंगा , आज मैं बहुत खुश हूं आज मैं खुद उससे मिलने हवेली जाऊंगा तू जल्दी से लड्डू बना के दे दे । मां - अरे थोड़ा सबर कर अभी बनाए देती हूं तू पहले तैयार तो हो जा , श्याम - अरे मां सबर ही तो नई होता मुझसे कितने दिनों बाद मिलूंगा मैं श्री से तो बेताब तो होऊंगा ना ।
श्री वही श्याम के आस पास ही रहता है पर क्या करे कुछ बता भी नही सकता है ।इधर श्याम तैयार होकर आता है और लड्डू हाथ में लेकर हवेली के लिए निकल पड़ता है ।कुछ देर बाद श्याम हवेली पहुंच जाता है लेकिन जैसे ही हवेली में प्रवेश करता है उसे बहुत अजीब महसूस होता है हवेली एक दम खाली खाली सा लगता है एक दम पुराने खंडहर जैसा , फिर...
कुछ देर बाद श्री वहां से जा ही रहा होता है की श्याम घर से बाहर निकलकर आता है और अचानक से श्री... तुम यही हो ना कहकर चिल्लाता है ।श्री यह सुनकर रुक जाता है और बहुत खुश हो जाता है उसे एक पल ऐसा लगता है जैसे उसका दोस्त उसे देख सकता है , परंतु कुछ ही क्षण बाद उसका यह वहम टूट जाता है क्योंकि श्याम तो अपने लॉकेट से बातें करता रहता है वह कहता है अरे दोस्त तुमने ही तो कहा था की जब भी मेरी याद आए इस लॉकेट को देखना और मुझे पुकारना मैं आ जाऊंगा ।
उधर पास में ही खड़ा श्री की आंखे भर आती है और वह अपने दोस्त को देखकर रो पड़ता है ।श्याम श्री को याद करते करते वही बाहर खाट पे सो जाता है श्री भी वही अपने दोस्त के पास रुक जाता है ।
अगली सुबह श्याम चिल्लाते हुए मां मां मां ...
आज मेरा दोस्त आने वाला है आज मेरा दोस्त आने वाला है जल्दी से लड्डू बना दे बेसन का उसे बहुत पसंद है । आज मैं अपने दोस्त से मिलूंगा , आज मैं बहुत खुश हूं आज मैं खुद उससे मिलने हवेली जाऊंगा तू जल्दी से लड्डू बना के दे दे । मां - अरे थोड़ा सबर कर अभी बनाए देती हूं तू पहले तैयार तो हो जा , श्याम - अरे मां सबर ही तो नई होता मुझसे कितने दिनों बाद मिलूंगा मैं श्री से तो बेताब तो होऊंगा ना ।
श्री वही श्याम के आस पास ही रहता है पर क्या करे कुछ बता भी नही सकता है ।इधर श्याम तैयार होकर आता है और लड्डू हाथ में लेकर हवेली के लिए निकल पड़ता है ।कुछ देर बाद श्याम हवेली पहुंच जाता है लेकिन जैसे ही हवेली में प्रवेश करता है उसे बहुत अजीब महसूस होता है हवेली एक दम खाली खाली सा लगता है एक दम पुराने खंडहर जैसा , फिर...