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एक खूबसूरत रात
पूनम की वो रात थी। चाँद अपनी चाँदनी पुरज़ोर बिखेर रहा था। मदमस्त था आलम। कितना खूबसूरत था समा। मैं अकेले घर में खिड़की के पास बैठकर चाय और मौसम का आनंद ले रही थी। ठण्डी पुरवाई चल रही थी जिसके मेरे गालों पर स्पर्श स्पर्श से असीम सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी।
यकायक चाँद बादलों में छुप गया और बारिश होनी शुरू हो गई। क्यूँकि मुझे बारिश बेहद पसंद है, बाहर जाकर उसमें भीगने से मैं ख़ुद को ना रोक सकी। जो मैं महसूस कर रही थी उस समय, उसे शब्दों में बयान करना बहुत ही मुश्किल है। पानी से मैं पूरी तरह से मैं भीग गई थी। वो उस रात का असर था या बारिश की बूँदों का, मैं खुद में बहुत अच्छा महसूस करने लगी।
बारिश भी रुक गई। आसमान में वो पूनम का चाँद बादलों से मानो लुका छुपी खेलता सा प्रतीत हो रहा था। कभी बादलों में छुप जाता, कभी उनके पीछे से थोड़ा झाँकता तो कभी उनके साए से बाहर आ जाता। मन मेरा बहुत प्रफुल्लित था ये सब देखकर। उस खूबसूरत समा को देखकर मैं मंत्रमुग्ध सी हो गई थी।
अचानक फोन बजा तो हड़बड़ा कर मैं उठी। मेरी बेटी का फोन था। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा जब उसने कहा कि वो परिवार सहित मेरे साथ कुछ समय व्यतीत करने आ रही है। खुशी के मारे मुझे फ़िर नींद ही ना आयी और सुबह होते ही मैं बच्चों के स्वागत की तैयारी में जुट गई।
© Poonam Suyal
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