एक खूबसूरत रात
पूनम की वो रात थी। चाँद अपनी चाँदनी पुरज़ोर बिखेर रहा था। मदमस्त था आलम। कितना खूबसूरत था समा। मैं अकेले घर में खिड़की के पास बैठकर चाय और मौसम का आनंद ले रही थी। ठण्डी पुरवाई चल रही थी जिसके मेरे गालों पर स्पर्श स्पर्श से असीम सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी।
यकायक चाँद बादलों...
यकायक चाँद बादलों...