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ज़िन्दगी_से_याराना_भी और_माैत_से_घबराना_भी
#ज़िन्दगी_से_याराना_भी
#और_माैत_से_घबराना_भी
ये इन्सान की फितरत में है
लेकिन माैत से बचा नहीं जा सकता है माैत एक एसा सच है जिस सच का सामना हर जानदार चीज़ काे करना है
ज़िन्दगी बहुत ही रफ्तार से चल रही हाेती है हर किसी कि
और दिन भर माेबाइल की घंटियां बजती रहती है
लेकिन काैन सी घंटी बजने के बाद क्या बदलने वाला है दुनिया में ये किसी काे पता नहीं हाेता है
लेकिन इंसान हर घंटी बजाने वाले काे जवाब देता ही है
या यूँ कहें देना ही पड़ता है
ऐसे ही 30 तारीख काे सूरज तुलू हाेता है सबकुछ ठीक-ठाक रहता लेकिन सूरज जैसे जैसे गुरूब हाेने काे चलता है वैसे वैसे माैत करीब आ रही हाेती है
और जब कुछ ही देर वक़्त था गुरूब हाेने का हमारी फुफ्फी इस फानी दुनिया काे अलविदा कह देती है
और मेरे माेबाइल की घंटी बजती है उधर से यासिर भाई की आवाज़ आती है फुफ्फी नहीं रही अब मानाे पैर तले जमीन खिसक गई हाे
फिर ज़िन्दगी की यादाे मे खाे जाता हूँ फुफ्फी हमारी एक ही थी और अब काेई फुफ्फी बबुआ कहने वाली नहीं रही
एहसास हाेने लगा की अब जब कभी आजमगढ़ जाऊंगा ताे फुफ्फी कह कर बुलाने पर दूर दूर तक खामाेशी नज़र आयेगी क्योंकि फुफ्फी बचपन से बहुत ही अज़ीज़ रही है बहुत ही प्यार और दुलार दिया है शायद ही एसी नेक फुफ्फी मिलती हाे हर किसी काे
फुफ्फी आप बहुत याद आओगी आप की अल्लाह मगफिरत फरमाये और
जन्नत में आला मुकाम अता करे आमीन