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समाज में मेरा कर्तव्य
आत्मबल और स्वयं पर नियंत्रण यह दोनों शब्द अलग-अलग है इसलिए यह हर कोई इसको नहीं तराश पाता है इसके हकदार केवल मां होती है जो जीवन के कठिन से कठिन परिस्थितियों में अपने बच्चे को सफल होना देखना चाहती है चाहे जीवन में हो या जीवन के लिए वह खुशी जो होती है वह केवल मन में बयां नहीं होती है , समय के साथ अपने सगे संबंधी और तमाम सारे दोस्त एक मोड़ पर छोड़ जाते हैं, जहां उन्हें लगता है की अब इस जीवन में इसको सफलता मिलना नामुमकिन बल्कि बहुत मुश्किल भी है। वहां जिम्मेदारियों का...