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समाज में मेरा कर्तव्य
आत्मबल और स्वयं पर नियंत्रण यह दोनों शब्द अलग-अलग है इसलिए यह हर कोई इसको नहीं तराश पाता है इसके हकदार केवल मां होती है जो जीवन के कठिन से कठिन परिस्थितियों में अपने बच्चे को सफल होना देखना चाहती है चाहे जीवन में हो या जीवन के लिए वह खुशी जो होती है वह केवल मन में बयां नहीं होती है , समय के साथ अपने सगे संबंधी और तमाम सारे दोस्त एक मोड़ पर छोड़ जाते हैं, जहां उन्हें लगता है की अब इस जीवन में इसको सफलता मिलना नामुमकिन बल्कि बहुत मुश्किल भी है। वहां जिम्मेदारियों का पहाड़ मानो उनके सर पर पड़ा हो। आज का समय हर वक्त समझ गई और परखने की जरूरत है जिससे हमारे जीवन में इस तरह के लोग बहुत मिलेंगे जिनसे हमें सीखना है और अपने भविष्य को लेकर आगे बढ़ते रहना है। जीवन के कुछ पड़ाव पर आत्मबल की जरूरत होती है और उसी के साथ अपने सारे कर्मों को बुरे हो या अच्छे उसको नियंत्रण करने के लिए स्वयं का आकलन और नियंत्रण जरूरी होता है जो एक सफल व्यक्ति का पहचान होता है जिसमें उस व्यक्ति की गुणवत्ता नियत होती है जो अच्छी और प्रेरक के रूप में हमेशा के लिए मिशाल बना होता है।

जिस से आने वाले भविष्य में उससे छोटे उससे सीख लेते हुए अपने जीवन को सुगम और सरल बनाएं जिससे यह परंपरा बनी रहे। इस लेख में इस देश में किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं लिखा जा रहा है ,बल्कि समस्त विद्यार्थी और पुरुष जो अपने समय को यूंही कह कर छोड़ देते हैं जिसका कोई मूल्य नहीं है उनके जीवन में और आगामी जीवन के परिणाम सुख पूर्वक को इस वजह से अपने कर्तव्य निष्ठा पूर्वक और ईमानदारी के साथ निर्वाण निर्वाहन करते रहना चाहिए जो एक सफल व्यक्ति का जीता जागता पुख्ता प्रमाण है जिसमें हमें आपके समाज के भीतर किस तरह से लोगों के साथ व्यवहार और प्रेम बनाए रखना है जिससे जीवन के जद्दोजहद में कोई परिवर्तन ना हो और सुगमता से चलता रहे और परेशानियों से अभीष्ट ना होना पड़े जिससे हमारे साहस और आत्मबल पर प्रभाव पड़े जो केवल अपने ही नहीं बल्कि समाज के हित में हमारे व्यवहार के कुछ अंश समाज को योगदान दे सकें। और हमारा समाज तेजी से उन्नति कर सके विश्व जिससे सीख के रूप में ले सके और भी समाज प्रभावित हो और उस तरह बनने की कोशिश करें।
© genuinepankaj