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खोदा पहाड़ निकली चुहिया
#3बजेकीडोरबेल
© Nand Gopal Agnihotri
वह नया-नया गांव से शहर में आया था।
पुराने इलाके में एक कमरा किराए पर लेकर अकेला उसमें रहता था।
आए हुए मुश्किल से दो सप्ताह हुए थे , इसलिए ज्यादा जान-पहचान मुहल्ले में नहीं हुई थी।
दिन भर ड्यूटी करके, उधर ही खाना खाकर प्रायः नौ बजे रात तक रूम पर वापस आता था।
अकेले होने के कारण मोबाइल से लग जाता,
देर रात गए सोता था।
उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि तबीयत थोड़ी ठीक नहीं थी अतः जल्दी ही सो गया।
अचानक तीन बजे उसे ऐसा महसूस हुआ कि बाहर दरवाजे पर कोई दस्तक दे रहा है।
उसने सोचा पूस की ठिठुरन भरी अंधेरी रात में कौन हो सकता...