एक व्यापारी और नाव वाला
एक बार एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन एक छोटे से गांव में जाता है। उसका मकसद होता है कि उस गांव में एक बड़ी सी फैक्ट्री लगानी है। वह एक ऐसी जगह पर पहुंच जाता है, जहां पर उसके सामने एक नदी होती है और उस नदी के सामने वह गांव होता है।
अब उसके सामने दो रास्ते हैं — पहला यह कि वह सड़क के रास्ते घूम कर उस गांव तक पहुंचे, जिसमें लगभग 10 घंटे लगेंगे क्योंकि वहां तक पहुंचने का कोई डायरेक्ट रास्ता नहीं है। दूसरा रास्ता यह था की वह एक नाव में बैठकर नदी के रास्ते उस गांव तक पहुंच जाए जिसमें केवल 20 मिनट ही लगते।
तो अपना टाइम बचाने के लिए उसने उस नाव के जरिए गांव तक पहुंचने का फैसला किया। वह नांव बहुत छोटी सी थी, जिसमें एक तरफ वह आदमी बैठा था जो नांव चला रहा था और दूसरी तरफ वह बिजनेसमैन बैठा था।
नांव मैं बैठने के थोड़ी देर बाद उस बिजनेसमैन ने नांव वाले से पूछा — “तुझे पता है तेरी नांव में कौन बैठा है? तो नांव...
अब उसके सामने दो रास्ते हैं — पहला यह कि वह सड़क के रास्ते घूम कर उस गांव तक पहुंचे, जिसमें लगभग 10 घंटे लगेंगे क्योंकि वहां तक पहुंचने का कोई डायरेक्ट रास्ता नहीं है। दूसरा रास्ता यह था की वह एक नाव में बैठकर नदी के रास्ते उस गांव तक पहुंच जाए जिसमें केवल 20 मिनट ही लगते।
तो अपना टाइम बचाने के लिए उसने उस नाव के जरिए गांव तक पहुंचने का फैसला किया। वह नांव बहुत छोटी सी थी, जिसमें एक तरफ वह आदमी बैठा था जो नांव चला रहा था और दूसरी तरफ वह बिजनेसमैन बैठा था।
नांव मैं बैठने के थोड़ी देर बाद उस बिजनेसमैन ने नांव वाले से पूछा — “तुझे पता है तेरी नांव में कौन बैठा है? तो नांव...