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सुभाष बाबू: सिंगापुर का एतिहासिक भाषण
आपको किसी न किसी भांति स्वतन्त्र होना ही है। जिस दिन आप ये सोच लेंगे उसी दिन अपका सम्पत्ति से मोह छूट जायेगा।आप के सम्मुख साफ राह है। यदि आप के दिल में अपने देश का प्यार है तो सामने आइये और अपना तन, मन, धन अर्पित कर दीजिए। यदि आप ऐसा नहीं करते तो आप के लिए दूसरी राह खुली है। परन्तु स्मरण रखिए, जो स्वतन्त्रता के लिए नहीं लडते, स्वयं हिन्दुस्तान में उनके लिए कोई स्थान नहीं रहेगा। स्वतन्त्र हिन्द उनके लिए अधिक से अधिक यही दया दिखा सकता है कि वह उन लोगो को तृतीय श्रेणी का टिकट कटा कर विलायत भेज दें ।
मुझे हिन्दुस्तान को स्वतन्त्र कराना है। किसी भी उपाय से किसी भी दशा में।
आज मैं आपसे एक सर्वोच्च बलिदान चाहता हूं मैं तुमसे रक्त चाहता हूं। रक्त ही हमारे उस रक्त का बदला लेगा जिसे हमारे शत्रु ने बहाया है। रक्त ही स्वतन्त्रता का मूल्य चुका सकता है।तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा!

इंकलाब जिंदाबाद! आजाद हिन्द जिंदाबाद!
जय हिन्द!
© सरिता अग्रवाल