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अधूरी कहानी
#चिट्ठी
लाइब्रेरी में बैठी हुई निकिता क़िताब के पन्ने पलट रही थी और बेसब्री से सुप्रिया का इंतज़ार कर रही थी। जब से सुप्रिया का कॉल आया था और उसने उसे लाइब्रेरी बुलाया था ये कह के की उसको उस चिट्ठी के बारे में कुछ पता चला है, तब से निकिता बेचैन थी।
सुप्रिया अभय की गर्लफ्रेंड थी और अभय शरद का best friend । निकिता इस से पहले गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी और उसे लड़कों से बात करने में डर लगता था। वो तो लड़कों के सामने नजर उठा कर देख भी नहीं पाती थी मगर आज किसी ने उसकी डेस्क पर एक चिठ्ठी रखी थी जिसके उपर उसका नाम लिखा था।
निकिता ने जब उसे खोला तो उसमें I ❤️ निकिता । निकिता ने उस चिठ्ठी के बारे में किसी को नहीं बताया था मगर शरद जो छुप छुप कर निकिता को देखा करता था उसने उसे देख लिया और सुप्रिया से जाकर पता करने को कहा कि कहीं उसका कोई चक्कर तो नहीं चल रहा किसी के साथ। सुप्रिया यही पता करने आयी थी। निकिता ने डरते हुए सुप्रिया को चिट्ठी दिखाई इस शर्त पर कि वह किसी को नहीं बताएगी। निकिता बहुत ही सीधी लड़की थी और उसे अपने माँ बाप की इज्जत का बहुत खयाल था। वह कोई ऐसा काम नहीं करना चाहती थी जिससे उसके पापा की बदनामी हो। शरद को निकिता की यही सादगी और उसका मासूम चेहरा बहुत पसंद था। वह चुपचाप निकिता को निहारा करता था और निकिता को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि कोई दीवानों की तरह उसे चाहता है।
जब शरद को इस बात का पक्का विश्वास हो गया कि निकिता का कोई बॉयफ्रेंड नहीं है तो उसने एक दिन रास्ते में उसे रोकते हुए कहा कि मुझे दो मिनट तुमसे बात करनी है। निकिता ने इस से पहले किसी अनजान लड़के से इतने करीब से बात नहीं की थी तो वो घबरा गई । शरद ने उसकी आँखों में आंखें डालते हुए कहा कि वो अकेले ना घूमा करे क्यूंकि कुछ लड़के उसके पीछे पड़े हैं और वो चिट्ठी भी उनमें से ही किसी ने रखी होगी। शरद तो इतना कहकर चला गया मगर उसकी आँखें और उसकी बातें निकिता के दिमाग में बहुत दिनों तक चलती रही। वो यही सोचती रही कि कितना अच्छा है ये और उसे कितनी परवाह है निकिता की।
एक दिन निकिता की best friend रेखा ने उसे बताया कि शरद उसे पसंद करता है और उस से इस बारे मे बात करना चाहता है। निकिता ने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि उसके साथ ऐसा भी हो सकता है। उसे शरद की वही आंखें और बातें याद आने लगीं जो कुछ दिनों पहले उसने कहीं थी।
दशहरे का मेला था और निकिता और रेखा मेले में घूम रहे थे कि अचानक से शरद सामने आ गया और निकिता का हाथ पकड़ कर बोला मुझे दो मिनट बात करनी है। रेखा वहां से चली गई और निकिता भी उसके पीछे पीछे जाने लगी तो शरद ने उसे रोक लिया।
शरद निकिता को मेले से निकाल कर अपने घर ले गया। उसके घर पर सब लोग मेला देखने गए थे और घर पर कोई भी नहीं था। शरद निकिता को अपने दिल की बात बताना चाहता था अपने मुँह से मगर निकिता इस बात के लिए तैयार नहीं थी, वो शरद को छोड़कर वहाँ से चली गई।
तीन महीने गुजर गए। निकिता के दिमाग से ये सारी बातें निकल चुकी थी और वो फिर से normal हो गई थी। नए साल के पहले ही दिन जब वो रेखा के साथ टहल रही थी कि फिर से एक बार शरद ने उसे रोकते हुए हैप्पी न्यू ईयर बोला और एक कार्ड के साथ एक चिठ्ठी भी पकड़ा दी। निकिता ने कार्ड और चिठ्ठी दोनों को सड़क पर फेंकते हुए कहा कि जो तुम चाहते हो वो मैं नहीं कर सकती। मैं सिर्फ एक बार ही प्यार करुँगी और जो मेरा पति होगा बस उसी से प्यार करुँगी।
निकिता दूसरे दिन जब स्कूल जाती है तो उसकी आँखें शरद को ढूंढ रही थीं मगर शरद नहीं दिखाई दिया। सुप्रिया ने निकिता को बताया कि शरद बहुत रोया था और वो उसे दीवानों की तरह चाहता है।
अबतक निकिता के दिल पर भी शरद की आंखों और बातों का जादू चल चुका था और उसके लिए भी इस बात को दिल में दबाना मुश्किल हो गया था। अपने दिल के दर्द से छुटकारा पाने के लिए उसने शरद के नाम से कई चिट्ठियां लिखी मगर उसे खुद ही पढ़ती और फिर छुपा कर रख देती। उसे अपनी चिठ्ठी को उसके पते तक भेजने की कभी हिम्मत ना हुयी......

© Dolly