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श्रापित हवेली और प्यार

Chapter 2 : हवेली की दहलीज

रात का डरावना सन्नाटा सुबह की हल्की रोशनी में धुंधला सा लग रहा था, लेकिन अनिका के दिल में हलचल अब भी थमी नहीं थी। हवेली के अंदर फैली खामोशी उसे बार-बार बेचैन कर रही थी। सुबह होते ही उसने अपनी माँ से सवाल करने का मन बनाया।



“माँ, ये हवेली इतनी अजीब क्यों लगती है? और वो किताब... रूद्र कौन है?”

उसकी माँ ने ठंडी सांस ली और धीरे-से कहा, “हर चीज़ का सही वक्त होता है, अनिका। अभी तुम्हें बस यह समझना चाहिए कि यह हवेली हमारी पारिवारिक जिम्मेदारी है।”



लेकिन अनिका के सवालों का सिलसिला वहीं नहीं रुका। उसे एहसास हो गया था कि उसकी माँ इस हवेली के रहस्यों को छुपाने की कोशिश कर रही है।



हवेली का रहस्यमय पुस्तकालय



हवेली के दूसरे तल पर एक बड़ा सा पुस्तकालय था, जिसकी खिड़कियां जंग खा चुकी थीं। सुबह के समय भी वहां अंधेरा छाया रहता था। अनिका ने सुना था कि यह पुस्तकालय कई सालों से बंद था। लेकिन आज, उसे वहां जाने का ख्याल आया। अनिका घबराते हुए पुस्तकालय की और चल पड़ी।



पुस्तकालय का दरवाजा भारी था और काफी मुश्किल से खुला। जैसे ही उसने अंदर कदम रखा, उसे एक ठंडी से हवा का झोंका महसूस हुआ। कमरे में चारों तरफ किताबें बिखरी हुई थीं, और साथ ही दीवारों पर अजीब से निशान बने हुए थे। इन निशानों में भी वही...