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पहाड़ और प्यार
"देखो यश, इस पहाड़ के पत्थर कैसे हैं ? ऐसा लगता है कि इस पर कोई बैठा है?" वसु ने अपने बेडरूम की खिड़की से बाहर झाँकते हुए कहा
"वसु, हर जगह ज़िंदगी नहीं तलाशा करो,ये पहाड़ पत्थर से बने हैं." यश हँसता हुआ बोला
"अच्छा, आप ऑफिस जाएँ.. मैं इस पहाड़ को पास से जाकर देखूँगी. "वसु ने ज़िद करते हुए कहा

" ठीक है चली जाना लेकिन वाचमैन को बताकर जाना.. औऱ पहाड़ पर ज़्यादा अंदर नहीं जाना जंगली जानवरों और साँपों का ख़तरा है. ध्यान रखना अपना और फोन की बैटरी ज़रूर चार्ज कर लेना . "यश ने ऑफिस जाते हुए कहा

" ठीक है. "वसु जल्दी जल्दी किचन का काम करने लगी
यश और वसु चार दिन पहले ही पहाड़ी इलाके के एक शहर में शिफ्ट हुए थे.यश सरकारी बैंक में मैनेजर था. उसकी पोस्टिंग यहाँ एक साल के लिए हुई थी.
शहर बहुत छोटा था पर आधुनिक सुख सुविधाओं से भरपूर था. प्राकृतिक सौंदर्य अधिक होने के कारण पर्यटन व्यवसाय यहाँ बहुत अच्छा था. इसीलिये सरकार का खास ध्यान इस जगह पर था.

"वॉचमैन, मैं उस पहाड़ तक जा रही हूँ."
"ठीक है बीबी जी, पर शाम से पहले ज़रूर लौट आइये."
"मैं बस एक घंटे में आ रही हूँ."
"बीबी जी मेरा फोन नंबर ले लीजिए. कुछ जरूरत पड़े तो मैं आ जाऊँगा."
"ठीक है बताओ." वसु ने उसका नंबर नोट किया और पहाड़ की तरफ बढ़ने लगी. लगभग पंद्रह मिनट बाद वो उस जगह पहुँच गयी जहांँ उसके बेडरूम से वो पत्थर दिखते थे.
" क्या खूबसूरत नज़ारा है, नजदीक से तो और भी कयामत  लग रहा है. "वसु बहुत खुश होकर बोली

" और ये पत्थर तो पास से बिलकुल किसी आकृति की तरह लग  रहे हैं.चलो इनके साथ सेल्फी ले लेती हूँ " वसु कैमरा निकालकर उस आकृति जैसे पत्थर के गले में हाथ डालकर सेल्फी लेने लगी.
तभी अचानक उसे उस पत्थर के बायीं तरफ से धड़कन की आवाजें सुनायी देने लगी. वसु बुरी तरह चौंक गयी. उसने उस पत्थर के दूसरी तरफ जाकर बायीं तरफ अपना कान उस जगह लगाया जहाँ से धड़कन की आवाज आ रही थी.

"हे भगवान.. ये कैसे सम्भव हो सकता है कि इस पत्थर में जान हो." वसु तेज़ी से वापस जाने के लिए मुड़ती है तो अचानक कोई उसका हाथ पकड़ लेता है
"बीबी जी... बीबी जीssss. साब का फोन आया था.. आपको फौरन घर आने को कहा है." वाचमैन उसे ढूँढता हुआ वहाँ अचानक आ गया था.
वसु को अचानक से महसूस हुआ कि किसी ने उसका पकड़ा हुआ हाथ धीरे से छोड़ दिया.

" मेरे लिये यह बिलकुल अप्रत्याशित घटना है पर मुझे तुम्हारे नजदीक एक बार भी डर नहीं लगा.. कौन हो तुम? मैं वापस आऊँगी तुम्हें जानने के लिए." वसु ने मुड़कर उससे कहा और नीचे उतरने लगी.
अगले दिन यश के ऑफिस जाने के बाद वसु फिर उसी पहाड़ की तरफ जा रही थी. घर से निकलते समय उसने
वाॅचमैन  से कहा मैं जरूरी काम से बाहर जा रही हूँ अगर साब का फोन आये तो बता देना.. हो सकता है मेरे फोन में नेटवर्क नहीं हो. "

" जी बीबी जी.. अच्छा बीबी जी पहाड़ की तरफ मत जाइए अब आगे से. "
" क्यूँ.. "
" बीबी जी जंगलों में जंगली जानवरों और साँप बिच्छू के चोर बदमाशों के अलावा और क्या वजह हो सकती है. "
" ठीक है मैं ध्यान रखूँगी. "
" आज इस पहाड़ का रहस्य सुलझा कर रहूँगी"पहाड़ पर चढ़ते हुए वसु ने सोचा.
" कोई है.. हेल्प.. हेल्पsss. "जंगल में मदद के लिये बुलाती हुई किसी लड़की की आवाज ने वसु का ध्यान पहाड़ से हटा दिया.

आवाज़ पहाड़ के दूसरी तरफ के जंगल से आ रही थी.. वसु बिना सोचे समझे उस तरफ दौड़ पड़ी.
" कौन है वहाँ... मुझे वापस आवाज दो जिससे मैं तुम्हारी मदद के लिए आ सकूँ. "वसु ने दौड़ते हुए चिल्लाकर कहा
"मैं अनु हूँ..आपकी दिशा से आठ सौ मीटर पर हूँ..टूटे हुए पेड़ में पैर फ़ँस गया है.. टहलने निकली थी"
"अच्छा.. वहीं रुको मैं आती हूँ."

"ओह.. आप तो बहुत बुरी तरह से ज़ख्मी हो. मैं फोन करके एम्बुलेंस बुलवा लेती हूँ. "वसु अनु के पैर को देखते हुए बोली
"नहीं इसकी जरूरत नहीं है.. मैं खुद एक डॉक्टर हूँ.. बस मेरा पैर पेड़ से निकलवा दें. "अनु ने कहा
" ठीक है मैं पेड़ की शाखा उठाती हूँ आप पैर निकालने की कोशिश करें. "वसु ने पूरे जोर से पेड़ की डाल उठाते हुए कहा
" हाँ.. निकल गया.. बहुत धन्यवाद आपका बस मुझे कॉलोनी तक और छोड़ दें. "अनु ने पैर को हल्के हल्के दबाते हुए कहा.

" जी ज़रूर...पर अजीब सी बात है इतना भारी पेड़ बगैर किसी ज़्यादा ज़ोर के आसानी से उठ गया.. मैंने तो सिर्फ हल्का सा उठाने की कोशिश की थी और आप इस तरह से ज़ख्मी है जैसे ऊपर पहाड़ से गिर गयी हो. "वसु बहुत हैरान थी
" मैंने भी पूरा ज़ोर लगाया हुआ था इसीलिए आपको पेड़ उठाने में हल्का लगा. क्या मेरे ज़ख़्म पेड़ के भारी होने का सबूत नहीं दे रहे हैं? "अनु कराहते हुए हँसकर बोली
" सॉरी,, "वसु ने अपना ध्यान अपनी हैरानी से हटा लिया.
" मुझे भी उसी कॉलोनी में जाना है जहाँ आप लोग शिफ़्ट हुए हैं. मैं वहीं रहती हूँ. मेरे पति और बेटा आर्मी में थे.. "

" थे मतलब? "वसु ने बीच में बात काटते हुए पूछा
"दोनों शहीद हो चुके हैं. मैं आर्मी में डॉक्टर थी उस दिन सब कुछ समान्य था बस दोपहर बाद अचानक दुश्मनों ने हमला बोल दिया और हमारे कैम्प को बॉम्ब से उड़ा दिया था. "अनु ने बताया
" ओह बहुत अफसोस हुआ सुनकर.आप वहाँ से कैसे बच पायीं "वसु पहाड़ के सामने से वापस जाते हुए पहाड़ को देख रही थी
"ये एक लंबी कहानी है कभी बाद में मौक़ा मिला तो ज़रूर बताऊँगी.. सुनो जंगल में अकेली मत आया करो..ये जगह जितनी खूबसूरत है उतनी खतरनाक भी है. "अनु ने वसु को पहाड़ की तरफ देखते हुए पाकर कहा

" यही तो जानना था "वसु ने धीरे से कहा
"जहाँ जाना चाहती हो वहाँ तांत्रिक शक्तियाँ निवास करती हैं. दुनिया में इंसानों के अलावा बहुत सी शक्तियाँ बनायी गयी हैं लेकिन सबकी हदें भगवान ने तय की हुई हैं ये तांत्रिक अपने लोभ लालच में आकर उनका ग़लत इस्तेमाल करते हैं और उनके द्वारा इंसानो को नुकसान पहुँचाते हैं. उस पहाड़ की भी यही कहानी है. वहाँ हरगिज मत जाना वहाँ बहुत बुरी शक्तियों का निवास है. तुम्हारी तरह मैं भी बहुत खोजी और निडर थी.लेकिन इसके साथ सही समझ भी जरूरी होती है क्यूँकी कई बार जो दिखता है वो होता नहीं है. यहाँ पहाड़ों से जितनी जल्दी प्यार होता है उतनी जल्दी ये भ्रम टूट भी जाता है. "अनु ने वसु को चेतावनी देते हुए कहा

" वसु जी.. बहुत धन्यवाद.. मैं अनु को घर ले जाऊँगा." कॉलोनी के बाहर एक आदमी ने आकर अनु का हाथ थाम कर कहा
" ये मेरे पति है और आपके बाएँ तरफ मेरा बेटा खड़ा है. "अनु ने बताया
" हैलो, ये मुझे जंगल में ज़ख्मी मिली तो मैं इन्हें यहाँ ले आयी." वसु ने उन दोनों को बताया
" आपका बहुत धन्यवाद..अब हम चलते हैं ये सामने ग्रीन कलर का बड़ा सा घर हमारा है.. आजकल लोगों के ज्यादा घूमने आने की वजह से हमने इसे म्युजियम बना दिया है "उस लड़के ने कहा

वसु अपने घर की तरफ बढ़ चुकी थी. गेट के अंदर पहुँचते ही उसे अनु ने पुकारा..
" वसु.. अभी मानवता की भलाई के लिए तुम्हें बहुत काम करने हैं.. बहादुरी और समझदारी दोनों अलग अलग हैं. बहादुरी के साथ सही समझ इंसान को कमाल पर पहुँचा देती है. कल पहाड़ पर मैं तुम्हारे साथ थी. और हाँ.. कभी भी यश को बिना बताये घर से बाहर मत जाना"
"जी.. बहुत धन्यवाद आपका.. मैं ख्याल रखूँगी. "वसु मुस्कराकर बोली

थोड़ी दूर जाकर उसे ख्याल आया कि उसने अनु से फोन नंबर नहीं लिया है.. वो वापस मुड़ी तेजी से गेट की तरफ भागी अनु वहाँ नहीं थी..
" वाचमैन.. क्या वो ग्रीन घर वाले लोग अपने घर में अंदर चले गए हैं? वसु ने उससे पूछा
"कौन लोग मैडम.." वॉचमैन ने हैरानी से पूछा
" अरे अभी एक औरत और उनके पति उनका बेटा सब मेरे साथ यहाँ तक आये थे.. तुम भी यहीं गेट पर खड़े थे ना. "वसु ने उसे याद दिलाया

" मैडम.. आप यहाँ अकेली आयी थीं...वो ग्रीन घर म्युजियम है किसी का घर नहीं है. सुना है बहुत पहले एक आर्मी मेजर की फॅमिली रहा करती थी.. लेकिन लड़ाई में उनके कैम्प पर हमला हुआ था.. वो और उनका बेटा शहीद हो गए थे उनकी वाइफ उस दिन दूसरे आर्मी हॉस्पिटल में ड्यूटी पर थीं इसलिए वो वहाँ से तो बच गयीं थी लेकिन बाद में कुछ दिनों के बाद एक पहाड़ के ऊपर से नीचे गिर कर मरी मिलीं थी. पता ही नहीं चल पाया उनके साथ क्या हुआ था?

बाद में आर्मी ने इस घर को म्युजियम बना दिया था.जहाँ उस फॅमिली का बहुत सारा सामान आज भी मौजूद है. "
वसु के कानों में अनु की एक एक बात गूँज रही थी..

दोनों शहीद हो चुके हैं. मैं आर्मी में डॉक्टर थी उस दिन सब कुछ समान्य था बस दोपहर बाद अचानक दुश्मनों ने हमला बोल दिया और हमारे कैम्प को बॉम्ब से उड़ा दिया था.

सुनो जंगल में अकेली मत आया करो..ये जगह जितनी खूबसूरत है उतनी खतरनाक भी है.

जहाँ जाना चाहती हो वहाँ तांत्रिक शक्तियाँ निवास करती हैं. दुनिया में इंसानों के अलावा बहुत सी शक्तियाँ बनायी गयी हैं लेकिन सबकी हदें भगवान ने तय की हुई हैं ये तांत्रिक अपने लोभ लालच में आकर उनका ग़लत इस्तेमाल करते हैं और उनके द्वारा इंसानो को नुकसान पहुँचाते हैं. उस पहाड़ की भी यही कहानी है. वहाँ हरगिज मत जाना वहाँ बहुत बुरी शक्तियों का निवास है. तुम्हारी तरह मैं भी बहुत खोजी और निडर थी.लेकिन इसके साथ सही समझ भी जरूरी होती है क्यूँकी कई बार जो दिखता है वो होता नहीं है. यहाँ पहाड़ों से जितनी जल्दी प्यार होता है उतनी जल्दी ये भ्रम टूट भी जाता है.

वसु.. अभी मानवता की भलाई के लिए तुम्हें बहुत काम करने हैं.. बहादुरी और समझदारी दोनों अलग अलग हैं. बहादुरी के साथ सही समझ इंसान को कमाल पर पहुँचा देती है. कल पहाड़ पर मैं तुम्हारे साथ थी. और हाँ.. कभी भी यश को बिना बताये घर से बाहर मत जाना.
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