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नशे की रात ढल गयी-16
नशे की रात ढल गयी .. (16) भोजपुरी में बिआह-कटवा के बारे में एक कहानी प्रचलित है कि कहीं शादी की आखिरी रस्म चल रही थी , दुल्हा(लंगड़ा) और दुल्हन (कानी)मंडप में बैठे थे । एक से जब रहा नहीं गया तो बोला--बर सुंदर पवलस कानी .. तो दूसरे ने भी तपाक से जवाब दिया--बर ठार होखस त जानी.. इसके बाद का क्या हुआ -मुझे नहीं मालूम ..लेकिन मेरे परिवार में भी ये एक चिंता का विषय था कि मेरी शादी कई बार लगी और कट गयी । बात उनदिनों की है जब मैं उम्र के चौबीसवें साल में था और सीवान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में लिपिक के पद पर अपने ही मोहल्ले में उसके प्रधान कार्यालय में नियुक्त था ।अपने सारे हमउम्र दोस्तों के बीच सबसे पहले मुझे नौकरी मिली थी , इसलिए इसके फायदे कम और नुकसान ज्यादा उठाने पड़े । दोस्तों के संग किसी पार्टी-वार्टी में जाने से मैं कतराने लगा क्योंकि बिल अक्सर मुझे भरने पड़ते थे । जब पहली तनख्वाह मिली तो मैं भी कुछ अतिरिक्त उत्साह में था और जेब में पैसों...