एक अनकही गाथा भाग 4
काभी कोई वैश्या, तवायफ या रखैल इस गाथा के आधीन नहीं है क्योंकि यह गाथा अनकही इसलिए है क्योंकि यह खुद उनके शोक में उनके अधीन होकर रोगिन श्रेणी घूमती फिरती रहती है जिसके चलने को ही समय अर्थात जगतवैशया ए जगतवेशयालय के की त्रीलोगिका के महा प्रचंड प्रलय का प्रकोप बनकर घातक संकेत देते हुए इसे उसके घातक प्रकोप का विषय का बोध का ज्ञात...