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कर दूंगा अंकित (भारतांकित भाग-१)
आज इक्क्षा हुई कहानी उस भारत के लिखने की जो गांव और छोटे शहरों में रहता है। वो भारत जो हर तरह की भौगोलिक व सांस्कृतिक विविधताओं से भरा है। इसको कविता का रूप देते हुए प्रस्तुत करता हूं। ये कहानी लम्बी चलेगी। इस यात्रा में मेरा साथ दें और इसका रस लें।


भाग-१

कर दूंगा अंकित
जो ये बात गलियों में मशहूर है
जो ये साज सभी गा रहे हैं
पीठ पीछे सामने सबको सुना रहे हैं

ये बातें आर्यावर्त की, जो पहेचान हमें दिलाती हैं
वो बाते सबके घर की जो दिलों को छू जाती हैं
बता दूंगा इस धरा की सारी विशेषताएं
कुछ कमियां भी हैं, क्यूं ना उन्हें भी जताएं

वो कश्मीर की वादियां
वो कन्याकुमारी का तट
उत्तरपूर्व के पर्वत
और पश्चिमी घाट के वट

गंगा जमुना दोआब से
कृष्णा कावेरी पट्टी तक
अरावली के पर्वतों से
अंडमान की जेट्टी तक

कहानी एक ही सी तो है हमारी
थोड़ा तुम्हारा सच थोड़े हमारे झूठ
थोड़ा बचपन हमारा
थोड़ी जवानी तुम्हारी
थोड़ा उनका बुढ़ापा भी अंकित करना है

to be continued.....

© अंकित राज "रासो"