...

3 views

एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में अन्त की ओर।।
जब नायिका की मृत्यु उसके त्याग बलिदान मूल्य समर्पण देकर हुई तो वो तो श्री कृष्ण
संग मंदिर में किन्नर कल्याणवी मूर्ति के रूप में स्थापित होकर अपने अस्तित्व की आसीमता को
पति श्री कृष्ण तथा पिता परमेश्वर परमबृम् के वात्सल्य के भोग प्रेम के छंद वासना भोग से स्नान होकर वह साछात मोक्ष प्राप्त कर अपने लिए बैठकुन्धाम के द्वार खोल कर अस्तित्वनिका बांसुरीया बेलिया बनकर बैठकुन्धाम प्राप्त कर बैकुनडी रीढ़ा बनकर अपने कर्म को तथा इच्छा को नष्ट कर वो बैकुनडी रीढ़ा बैठकुन्धाम में अपने अस्तित्व को प्राप्त हो जाती है और वह इस तरह गाथा एक वैशया विराह विलाय स्मृतियों का फल अस्तित्वनिका पद पर आसीन होकर अस्तित्व की आसीमता में एक नई पहल कर इतिहास रच देती है , इस कारण वह रचनावली भी कहलाई जाती है, मगर गाथा नायिका लैसवी वैशया की विलीनता पर काई सवाल उठे , मगर प्रशनवाचक द्वारा उन लोगों के वो सवाल अर्थहीन है,।।
#३५६