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मेरी कहानी भाग २
जब मुझे नौकरी मिली तो लगा जैसे आसमान छू लू,मुझे लगा की अब मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ, अब कोई भी परेशानी आए तो मैं डटकर सामना कर सकती हूँ ।२०१६,१७,कैसे बीत गई पता ही नहीं चला, एक अनुभव प्राप्त हुआ टीचिंग का,स्कूल के बच्चों से ऐसा लगाव हो गया मानो वह मेरे बच्चे हैं और उनके बिना जिन्दगी अधुरी सी लगती है, एक दिन स्कूल न जाऊ तो लगता है जिन्दगी रूक सी गई है। ।मेरे स्कूल के बच्चे मेरी जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं उनके बिना जिन्दगी संभव नहीं ।फिर मैंने सन् २०१८ में एक...