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क्या न्यायालय को न्याय मिला है?
न्यायालय एक ऐसी संस्था जो नागरिकों को न्याय दिलाता है| यह सामाजिक बेड़ियों, झगड़े , आपसी मतभेद और द्वेष जो लोगों के बीच होते हैं न्यायालय उन सभी अवरोध को प्रेम और कानून के अनुसार हटाता है और उचित न्याय दिलाता है | हर नागरिक को न्यायालय के न्याय और आदेश को मानना पड़ता है क्योंकि वह तर्कसंगत और दूसरों के भलाई के लिए होता है| लेकिन, सबसे दुखद बात यह है कि आज यह संस्था खुद कई जकड़नो में बंध चुका है| जहां न्याय की देवी वास करती है उस जगह इन अवगुणों का होना हमारे लिए लज्जाजनक बात है और न्याय की देवी का अपमान है| देवी के नेत्रों में लगी पट्टी का कुछ लोग अनुचित लाभ उठा रहे हैं।  अतः अब हमें न्याय की देवी से आग्रह करना होगा कि वे अपने नेत्र खोले और पुनः इस पवित्र संस्था के गरिमा को वापस ला दे | आज प्रश्न यह है कि जो न्यायालय दूसरों को न्याय दिलाता है,  क्या उसे खुद न्याय मिला है ?

न्यायालय में न्याय देने वाले न्यायधीश अब अपनी असली ऊर्जा, कुशलता और योग्यता को शनैः-शनैः खोते जा रहे हैं। सबसे बड़ी गलती उन्होंने यह कि की अपनी मातृभाषा को छोड़कर एक विदेशी भाषा को न्याय का माध्यम बनाया जो कि निसंदेह हमारे...