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पढाई का खूँटा...
पढाई का खूंटा ......

मोदक नाम था उसका.. मां नै जनाया था, रात के कोई 10 बज रहे थे।खेलते खेलते जो हम रात को कोई 9.00बजे सो जाते थै उस दिन जग रहे थै.. मां और दादी लाली के पास बैठे उसके नव नवेले बछड़े को पोंछ रही थी.. हम भाई बहन प्यार और उत्साह से मोदक को देख रहे थे.. मां रात को वहीं बाडे में सो गयी.. रात में कुत्ते बाड कूद कर आ सकते थै मोदक अभी छोटा था सो उसकी सुरक्षा जरूरी थी,हम दादी के साथ घर आ गये ,पूरी रात सोचते रहे सुबह तक तो उछलने लगेगा.. कितना प्यारा है.. उस रात नींद नहीं आयी , तड़के ही भाग कर बाडे गया देखा तो मोदक लाली का दूध पीकर खूब उछल रहा है.. उसके लिये पूरा बाडा कम पड रहा है, उसकी फर्लांग बहुत दूर तक जाती है..कभी मेरे पास आता सिर के बाल चाटनै लगता.. फिर भाग जाता उस दिन बडा मजा आया.. अब तो सब भाई बहन दिन भर उसके साथ कूद मस्ती करते और वह भी मजेदारी करता 10-15 दिन बाद मां ने उसके गले में जैवडी डाल दी और बाऊजी ने एक खूंटा खोद दिया.. अब मोदक उस खूंटे पर बंधा रहता था धीरे धीरे मोदक की उछल कूद कम होती गयी.. मां चारा डाल आती और वह खाता रहता.. हम भी अब मोदक सै कम ही प्रेम रखते उब उसमे मजा भी नहीं था.. ना बचपन और ना ही चंचलता, वह कब बिक गया और कब लाली अकेली हो गयी मां जानती थी या लाली..मोदक की कहानी कहते कहते में वर्तमान में आ गया छत पर सामने आठ साल का बैटा और पत्नि बैठे थे, चलो राशु बैटा अब पढायी कर लो.. पत्नि ने बैटे को आदेश दिया, रूको तो आ रहा हूँ मम्मी देखो पापा एक और कहानी सुनायेंगे.. नही बैटा जाओ अब थोड़ा पढ लो मैने उत्तर दिया, पापा... में स्कूल गया.. फिर ट्यूशन उसके बाद होम वर्क ट्यूशन वर्क कुल मिलाकर पूरे दिन में कितना सा खैला ,और आप भी वीक में दो दिन आते हो.. उसमे भी पढने कै लियै.... मम्मी भी पढने के लिये राशु रूआंसा हो गया ,राशु क्यो फालतू बात करते हो देखो अब पढ लो।
पापा.. एक बात बोलूं... वो देखो चिड़िया उड रही हैं कितनी फ्री है, उसे कोई पढने के लिये बोलता हैं क्या.. कितना मजा है उनका,....... राशु की बात सुनकर लगा जैसे.. एक और मोदक को खूंटे से बांध दिया गया हो.. ये मोदक बोलता भी है शिकायत भी करता है।

मुकेश कुमार कुमावत