हाय ये दुःख 🥺🥺🥺🥺
हाय ये दुःख खत्म क्यौ नहीं होता
सब कुछ तो छिन लिया अब क्या चाहता है
हाय ये दुःख खत्म क्यौ नहीं होता है
में ही क्यों क्या मेरे से ही बेर ज्यादा है
बहुत टुट गई हूं मैं अब कितना ज्यादा चाहता है
अब तो हर रात और दिन दुःख में कट...
सब कुछ तो छिन लिया अब क्या चाहता है
हाय ये दुःख खत्म क्यौ नहीं होता है
में ही क्यों क्या मेरे से ही बेर ज्यादा है
बहुत टुट गई हूं मैं अब कितना ज्यादा चाहता है
अब तो हर रात और दिन दुःख में कट...