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अरमान (भाग 3)
गतांक से जारी........

चार घंटे हो चुके थे।अभी तक दिव्या को होश नहीं आया था।डाक्टर ने ब्रेन का सी.टी.स्कैन और एम.आर. आई.करवाया था।उन्होंने देवेश को बुलवाया।देवेश फौरन डाक्टर के पास पहुंच गए।
डाक्टर:-आपकी बेटी की टैस्ट रिपोर्ट आ गई है।
मस्तिष्क के एक कोने में कुछ हल्की सिकुड़न आ गई है।
शेष सब ठीक है।
देवेश:-फिर बच्चे को होश क्यों नहीं आ रहा है?
डाक्टर:-दवाई की मात्रा हम नहीं बढ़ा सकते। बच्चे की आयु के अनुसार दवाई दी जाती है।यदि सब ठीक रहा तो उसे अगले दो घंटे में होश आ जाना चाहिए। सुनकर देवेश आई.सी.यू.से बाहर आ गए।
अंजना:-क्या कहा डाक्टर ने? डौली को होश आया या नहीं।सी. टी.स्कैन और एम.आर.आई. रिपोर्ट में क्या नतीजा आया है?उसने एक साथ ही कई सवाल पूछ लिए।
देवेश:-अभी होश नहीं आया है। डाक्टर ने कहा है कि अभी दो घंटे और लग सकते हैं।
अभी वे यह बात कर ही रहे थे कि वार्ड ब्वाय आ गया उसने कहा, दिव्या जाग गई है और अपनी मम्मी को याद कर रही है। अंजना ने दिव्या को छः माह की उम्र से गोदी में खिलाया था,दिव्या उनको मम्मी जी ही बुलाती थी।
दिवया को होश आ गया है,यह सुनकर निराश हो चुके देवेश और अंजना को आशा की किरण दिखाई दी।अंजना तुरंत अंदर गई।दिव्या उसे देखकर रो पड़ी।
मम्मी,मैं ठीक हो जाऊंगी न,दिव्या ने पूछा?
अंजना:-हां,तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी।फिर से हम और तुम कैरम बोर्ड और बूझो पहेली खेला करेंगे।
मम्मी जी,पापा कहां हैं, दिव्या ने कहा?
दिव्या :-मैं अभी जाती हूं और आपके पापा को भेजती हूं।कहकर अंजना बाहर चली आई।
अंजना :-(देवेश से)आपको डौली अंदर बूला रही है।
देवेश अंदर चला गया।
देवेश:-कहो बेटा, कैसे महसूस कर रही हो अब?
दिव्या:-पापा, अभी सिर मैं बहुत दर्द है।
देवेश"-बहुत ही जल्दी ठीक हो जायेगा, बेटा।
देवेश ने हिम्मत बंधाई।
ईश्वर की कृपा से चार दिन बाद उसे हौस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।वे घर आ गये।
शाम के पांच बज चुके थे।अंजना ने बिटिया से पूछा, वह क्या खाना चाहती है?
दिव्या ने उत्तर दिया, कि मैं सैंडविच खाना चाहती हूं।
ठीक है,अपने बेटे के लिए मैं अभी सैंडविच बनाकर लाती हूँ।अंजना ने कहा।
थोड़ी देर में वे सब नाश्ता कर रहे थे।
दिव्या:-मम्मी जी, एक बात बोलूं।
अंजना:-बोलो,बेटा।
दिव्या:- आप तौ कहते है कि भगवान सबकी बिगड़ी बात बना देते हैं।फिर मेरा बना हुआ काम उन्होंने क्यों बिगाड़ा। उस दिन विद्यालय में तीन बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू होना था।उसमें मेरा भी डांस था।फिर क्यों लंच मे मुझे चोट लग गई।रिहर्सल भी मैंने अनेक बार किये थे।इंचार्ज मैडम ने कह दिया था ,दिव्या,तुम्हें इनाम जरूर मिलेगा?
मेरा भी मन था कि मम्मी पापा के सामने मेरे नृत्य की तारीफ हो और मुझे इनाम देकर सम्मानित किया जाए। मेरे सब अरमान अधूरे ही रह गये।
ऐसा भगवान ने मैरे साथ क्यों किया?
अंजना:-बेटे ऐसा नहीं कहते, भगवान सबकी मदद करते हैं। वे किसी का काम नहीं बिगाड़ते।
आप सकुशल ठीक होकर घर आ गये हो,यह सब उनकी कृपा का ही फल है।रही बात,तुम्हें इनाम दिलाने की,आप इसी कार्यक्रम को अपने आने वाले विद्यालय के वार्षिकोत्सव में प्रस्तुत कर सकते हो।
ईश्वर ने एक छोटे अवसर को तुम्हारे हाथ से लेकर तुम्हारे हाथ में एक बड़ा अवसर दिया है।तुम अपने मन को बिल्कुल भी छोटा न करो। तुम्हें इनाम जरूर मिलेगा।कहते हुए उसने दिव्या को सीने से लगा लिया।
......समाप्त।

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