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आपका जादुई स्पर्श! (Your Magical Touch!)🤗🤗
आप अक्सर सोचती हैं कि अब वो आपकी परवाह नहीं करता! अक्सर पहले जैसा smile नहीं करता। बस काम पर निकल जाता है। फोन पर भी कम बात करता है। देर शाम ढले लौटता है तो भी चुप-चुप रहता है। अब मैं मिल गई हूं तो शायद मेरी value नहीं है— ऐसा कुछ भाव भी मन में आता है!

रिश्तों की गर्माहट बनाए रखने बात हो रही है यहां। वो बेवफ़ा हो गया है या उसका कोई चक्कर चल रहा है या फ़िर नीयत खराब हो गई है— ऐसी बात भूलकर भी न सोचिए।

पुरूष जब परिवार वाला हो जाता है तो वास्तव में ज़्यादा ज़िम्मेदार हो जाता है। परिवार के लिए कई किस्म की financial planning उसके दिमाग में चल रही होती हैं। Workplace और boss से संबंधित ज़िम्मेदारियां/ परेशानियां वो आपसे कभी share नहीं करता। खुद ही सुलझाने की भरपूर कोशिश करता है।

कुदरत ने भी उसे कुछ वैसा ही बनाया है। पुरूष है भई— तो अपनी समस्याएं उसे स्वयं ही सुलझानी है।

बात रही रिश्तों में घटती रूमानियत की तो आप कुछ इस अंदाज़ में भी सोचिए। आपका स्पर्श जादुई है— इस बात को केवल मानिए ही नहीं अपितु जताइए भी, व्यवहार में लाइए भी।

वो शाम को थका-मांदा घर लौटे तो आप भी तो अपनी जादुई स्माइल बिखेरिए। आपकी अंगुलियों का जादुई स्पर्श यकीनन आपके मिस्टर के माथे का बाम सिद्ध होता है तो देर क्यों? माथा स्पर्श कीजिए, बाम लगाइए। दो कप चाय बनाइए। खुद भी पीजिए और उन्हें भी पिलाइए।

विज्ञान कहता है आपका स्पर्श वाकई उनके मन मस्तिष्क में feel good वाले केमिकल्स पैदा करता है। भूलिए मत, यह स्पर्श आपके भीतर भी वैसा ही भाव पैदा करता है। वैसे भी प्रेम, प्यार, क्रोध, करूणा, खुशी आदि सभी भावों के पीछे मन मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले रसायन ही तो हैं। हमारी इंद्रियां इन्हें पैदा करने में सहायक होती हैं। जादुई स्पर्श भी उसी में शामिल है।

कर के तो देखिए। अंतर दिखेगा। रिश्ते में गर्माहट भी दिखेगी और रूमानियत भी!

लेकिन मैं स्त्री हूं तो मैं ही क्यों करूं? और पुरूषों का कोई दायित्व नहीं?

पहले प्रश्न का उत्तर सरल है। स्त्री हैं तभी तो! कुदरत ने स्नेह-प्रेम का भाव विशेष रूप से दिया है। In-built गुण है।

और पुरूषों का दायित्व? इस पर चर्चा फिर कभी!👍👍

—Vijay Kumar
© Truly Chambyal